वसंतराव बलवंतराव चव्हाण (सोर्स: सोशल मीडिया)
Vasantrao Balwantrao Chavan Birth Anniversary: नांदेड के राजनीतिक गलियारों में एक नाम हमेशा गरिमा और सादगी से लिया जाएगा वो है कांग्रेस के पूर्व सांसद वसंतराव बलवंतराव चव्हाण। उन्होंने छोटे से गांव के सरपंच पद से लेकर देश की संसद तक पहुंचकर यह साबित किया कि सच्चा नेतृत्व पद से नहीं, सेवा से बनता है। आज यानी 15 अगस्त को वसंतराव चव्हाण की जयंती है।
वसंतराव चव्हाण का जन्म 15 अगस्त 1954 को हुआ। उन्होंने 1978 में महज 23 साल की उम्र में अपने पैतृक गांव नायगांव की राजनीति में कदम रखा। नांदेड़ जिले के नायगांव ग्राम पंचायत का सरपंच बनकर उन्होंने पानी, सड़क और शिक्षा जैसे बुनियादी मुद्दों पर काम किया। यही वह दौर था जब उन्होंने समझ लिया कि राजनीति में टिकने के लिए भाषण से ज्यादा ज़रूरी है काम का असर।
वसंतराव बलवंतराव चव्हाण 1978 में नायगांव के सरपंच बने। इसके बाद 1990-2002 तक नांदेड़ जिला परिषद सदस्य रहे। 2002 में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ने उन्हें विधान परिषद सरस्य बनाया। हालांकि इसके बाद पासा पलटा और 2009 में उन्होंने नायगांव विधानसभा सीट से निर्दलीय पर्चा भर दिया।
वसंतराव का रूतबा और जननेता की छवि से कांग्रेस अनभिज्ञ नहीं थी। 2014 के विधानसभा चुनाव से पहले वे कांग्रेस में शामिल हो गए और पार्टी ने उन्हें नायगांव से टिकट दे दिया। 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने उन्हें नांदेड़ से चुनावी मैदान में उतारा।
2024 का लोकसभा चुनाव नांदेड़ में कांग्रेस के लिए चुनौती भरा था। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण और भास्करराव खटगांवकर जैसे वरिष्ठ नेता कांग्रेस से अलग हो गए थे। अशोक चव्हाण के बीजेपी में शामिल होने से पार्टी कमजोर मानी जा रही थी। लेकिन वसंतराव चव्हाण ने कांग्रेस का झंडा थामे रखा।
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बीमारी और किडनी फेलियर के बावजूद वसंतराव ने प्रचार किया और बीजेपी उम्मीदार प्रताप पाटिल चिखलीकर को लगभग 50,000 वोटों के अंतर से हराया। यह सिर्फ चुनावी जीत नहीं, बल्कि संघर्ष और हिम्मत का प्रतीक थी।
लोकसभा सांसद बनने के कुछ ही महीनों बाद वसंतराव चव्हाण को सांस लेने में तकलीफ और लो ब्लड प्रेशर के चलते अस्पताल में भर्ती कराया गया था। पहले उन्हें नांदेड़ के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था, लेकिन हालत गंभीर होने पर डॉक्टरों की सलाह पर उन्हें एयर एम्बुलेंस से हैदराबाद के KIMS अस्पताल में शिफ्ट किया गया। 26 अगस्त 2024 को हैदराबाद के अस्पताल में इलाज के दौरान उनका निधन हो गया।