महायुति में महाटकराव! (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Maharashtra Politics: मुंबई महानगर पालिका सहित महाराष्ट्र के अन्य निकायों के चुनावों की पृष्ठभूमि में एक तरफ सत्तारूढ़ महायुति सरकार के घटक दलों के प्रमुख नेता मिल कर चुनाव लड़ने का दम भर रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ महायुति में महा टकराव की खबरें भी लगातार सामने आ रही हैं। जिसकी वजह से महायुति में सब कुछ ठीक होने पर सवाल उठने लगे हैं। महायुति सरकार में एक तरफ रायगढ़ के पालकमंत्री पद को लेकर उप मुख्यमंत्री अजीत पवार की राकां के प्रदेश अध्यक्ष सुनील तटकरे के खिलाफ उप मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की शिवसेना के नेता और मंत्री भरत गोगावले तथा विधायक महेंद्र दलवी लगातार आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल करते हुए हमला बोल रहे हैं।
तो वहीं दूसरी तरफ बीजेपी विधायक गोपीचंद पडलकर इन दिनों अजीत पवार को खटकने लगे हैं। शरद पवार की राकां के वरिष्ठ नेता जयंत पाटिल के खिलाफ पडलकर की आपत्तिजनक टिप्पणियां इसकी वजह है। अजीत ने इस पर नाराजगी जताई है। इसी तरह उप मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, बीजेपी के नेता और मंत्री गणेश नाईक से खफा हैं।पडलकर ने मंगलवार को एक बार फिर जयंत पाटिल के खिलाफ स्तरहीन टिप्पणी करते हुए हमला बोला था। डीसीएम अजीत पवार ने जयंत पाटिल के खिलाफ पडलकर की टिप्पणी की आलोचना करते हुए नाराजगी जताई और सभ्य राजनीति के महत्व पर जोर दिया।
पवार ने स्पष्ट किया कि भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर रविंद्र चव्हाण को तथा विधानमंडल के प्रमुख होने की वजह से मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की जिम्मेदारी है कि वह ऐसे बयानों को संज्ञान में लें। उन्होंने यशवंतराव चव्हाण का उदाहरण देते हुए कहा कि महाराष्ट्र की राजनीतिक परंपरा लोगों के साथ सम्मानपूर्वक व्यवहार करने की रही है। दूसरी तरफ बीजेपी के वरिष्ठ नेता एवं कैबिनेट मंत्री चंद्रकांत पाटिल एक बार फिर से पडलकर के समर्थन में खड़े नजर आ रहे हैं।
मंत्री पाटिल ने शुक्रवार को कहा कि जयंत पाटिल का फोन आया था। विवाद को खत्म करने की बात कर रहे थे लेकिन हमने उनसे कह दिया कि वार हुआ है तो तो प्रतिवार भी होगा। मंत्री पाटिल ने कहा कि अरे कहनेवाले को क्या रे कहने की तैयारी कार्यकर्ताओं की होनी चाहिए। उन्होंने जयंत पाटिल को चेतावनी देते हुए कहा कि चीनी मिलों को हथियाने का जयंत का मामला तो बस एक प्रस्तावना है। अभी भी मौका है समय रहते समझदार बन जाएं।
ठाणे-नई मुंबई में बीजेपी के नेता और कैबिनेट मंत्री गणेश नाईक तथा उप मुख्यमंत्री शिंदे के बीच की सियासी अदावत वर्षों से चली आ रही है। डीसीएम शिंदे के गढ़ ठाणे जिले में गणेश नाईक ने जनता दरबार लगाया था। जवाब में शिंदे अब नाईक के गढ़ नई मुंबई में अपना प्रभाव बढ़ाने का प्रयास करने लगे हैं। इस पर नाईक ने शुक्रवार को जोरदार हमला बोला। उन्होंने शिंदे और उनके सांसद पुत्र श्रीकांत शिंदे का नाम लिए बगैर कहा कि ये वो लोग हैं जो पैसे के लिए कुछ भी करने को तैयार रहते हैं।
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यदि गलती से सत्ता इनके हाथ में चली गई, तो नवी मुंबई का सर्वनाश तय है। मंत्री नाईक ने आगे कहा कि गलत मार्ग से मनी लॉन्ड्रिंग के जरिए आने वाला पैसा मुझे नहीं चाहिए। मुझे वह पैसा नहीं चाहिए जिसकी वजह से प्रवर्तन निदेशालय या मनी लॉन्ड्रिंग वाले मेरे पीछे लगेंगे। इसी के साथ उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि मनी लॉन्ड्रिंग करने वाले कई लोग मेरे दोस्त हैं। उनकी उपरोक्त टिप्पणियों से शिंदे बेहद नाराज हैं।