लोगों को रेस्क्यू करती एनडीआरएफ की टीम (फोटो- IANS)
Maharashtra Flood News: महाराष्ट्र के कई हिस्सों में पिछले कुछ दिनों से हो रही मूसलाधार बारिश ने जनजीवन को बुरी तरह प्रभावित किया है। बीड, धाराशिव और सोलापुर जैसे जिलों में बाढ़ जैसे हालात पैदा हो गए हैं, जिससे लाखों लोगों का जीवन संकट में आ गया है। इस प्राकृतिक आपदा से निपटने के लिए राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) की टीमें लगातार राहत एवं बचाव कार्यों में जुटी हुई हैं, जिन्होंने अब तक 94 से अधिक लोगों को सुरक्षित बाहर निकालकर एक बड़ी मानवीय त्रासदी को टाल दिया है।
बाढ़ प्रभावित इलाकों में सबसे अधिक प्रभावित बीड, धाराशिव और सोलापुर जिले हैं। यहां की स्थिति इतनी भयावह हो चुकी है कि स्थानीय प्रशासन को केंद्र सरकार से मदद मांगनी पड़ी। प्रशासन के अनुरोध पर, एनडीआरएफ की टीमों को तत्काल इन जिलों में तैनात किया गया। इन टीमों ने रातभर बिना रुके बचाव अभियान चलाया।
बीड जिले के मजलगांव तहसील के संडास चिंचोले क्षेत्र में बाढ़ का पानी घरों में घुसने से कई लोग फंस गए थे। एनडीआरएफ की टीम ने रातभर चले ऑपरेशन में 26 लोगों को सुरक्षित निकाला। मंगलवार सुबह एक नवजात शिशु और उसकी मां को सुरक्षित बाहर निकालने के बाद, ग्रामीणों ने राहत की सांस ली। यह एनडीआरएफ जवानों की कुशलता और समर्पण का ही परिणाम था।
इसी तरह, धाराशिव जिले के कपिलापुरी गांव में भी भारी बारिश से हालात बिगड़ गए। बाढ़ का पानी घरों में भर जाने से ग्रामीण अंदर ही फंस गए। एनडीआरएफ की टीम ने यहाँ भी कठिन परिस्थितियों में रातभर काम करते हुए 9 नागरिकों को सफलतापूर्वक बचाया।
लोगों को रेस्क्यू करती एनडीआरएफ की टीम (फोटो- IANS)
सोलापुर जिले में भी स्थिति काफी गंभीर थी। यहाँ एनडीआरएफ की टीम ने रातभर रेस्क्यू अभियान चलाया और 59 नागरिकों को बचाया। इनमें कई बुजुर्ग, महिलाएं और बच्चे भी शामिल थे। इन सभी ऑपरेशनों में एनडीआरएफ की टीमों ने अदम्य साहस और पेशेवर रवैया दिखाया, जिसकी प्रशंसा स्थानीय प्रशासन और ग्रामीणों ने भी की। ग्रामीणों का कहना है कि अगर समय पर राहत नहीं मिलती तो बड़े पैमाने पर जनहानि हो सकती थी।
एनडीआरएफ के पहुंचने से पहले, भारतीय सेना भी लोगों की मदद के लिए आगे आई थी। बीड जिले के घाटपिंपरी और आसपास के गांवों में जलस्तर बढ़ने से गांवों के बीच और बाहर जाने के सभी रास्ते बंद हो गए थे। ऐसे में, बीड के जिला कलेक्टर के अनुरोध पर सेना ने राहत और बचाव कार्य शुरू किया था।
राहत एवं बचाव कार्य को और तेज करने के लिए, नासिक से एक एडवांस्ड लाइट हेलिकॉप्टर और दो चेतक हेलिकॉप्टर भी भेजे गए थे। इन हेलिकॉप्टरों का उद्देश्य मौसम अनुकूल होने पर फंसे हुए लोगों को हवाई मार्ग से सुरक्षित निकालना था। यह दिखाता है कि राज्य सरकार और केंद्र दोनों इस आपदा से निपटने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं।
महाराष्ट्र में यह प्राकृतिक आपदा सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती बन गई है। बाढ़ से प्रभावित लाखों लोगों को तत्काल राहत और पुनर्वास की आवश्यकता है। फसलें बर्बाद हो गई हैं और किसानों को भारी नुकसान हुआ है। इसके अलावा, सड़कों, पुलों और अन्य बुनियादी ढांचों को भी भारी क्षति पहुंची है। सरकार को न केवल तत्काल राहत कार्य करना होगा, बल्कि भविष्य में ऐसी आपदाओं से निपटने के लिए भी मजबूत योजनाएं बनानी होंगी।
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विशेषज्ञों का कहना है कि महाराष्ट्र में लगातार हो रही ये आपदाएं जलवायु परिवर्तन का ही परिणाम हैं। पिछले कुछ वर्षों में, राज्य में बेमौसम बारिश, सूखा और बाढ़ जैसी घटनाएं बढ़ी हैं। सरकार को अब सिर्फ राहत और बचाव पर ही ध्यान नहीं देना होगा, बल्कि दीर्घकालिक योजनाओं पर भी काम करना होगा, जिसमें जल प्रबंधन, आपदा चेतावनी प्रणाली और पर्यावरण संरक्षण शामिल हैं।
कुल मिलाकर, महाराष्ट्र में बाढ़ की स्थिति गंभीर बनी हुई है। एनडीआरएफ, सेना और स्थानीय प्रशासन के अथक प्रयासों से लोगों की जान बचाई जा रही है, लेकिन यह आपदा एक व्यापक और दीर्घकालिक चुनौती है, जिससे निपटने के लिए एक समन्वित और दूरदर्शी रणनीति की आवश्यकता होगी।