नागपुर एमएसएमई सेक्टर (सौ. सोशल मीडिया )
MSME Sector On Industrial Development In Vidharbha: महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस तमाम कोशिशों के साथ इंडस्ट्री को विदर्भ की ओर खींच कर ला रहे हैं। ऐसा पहली बार हुआ है, जब विदर्भ में इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट को लेकर ऐसा पॉजिटिव माहौल देखने के लिए मिला है।
लेकिन बेहद अफसोस की बात तो ये है कि मुख्यमंत्री के आदेश को अधिकारी गंभीरता से नहीं ले रहे हैं और इसका खामियाजा सीधे-सीधे विदर्भभर के उद्यमियों को उठाना पड़ रहा है। खासकर छोटे उद्यमी अधिकारियों की लालफीताशाही से काफी परेशान हो चुके हैं। यह आरोप फेडरेशन ऑफ इंडस्ट्रीज एसोसिएशन यानी एफआईए के पदाधिकारियों ने लगाया और अपनी नाराजगी व्यक्त की है।
एफआईए के पदाधकारियों ने कहा कि विदर्भ के अधिकारियों के पास छोटे-छोटे उद्यमियों को सुनने का समय ही नहीं है। एक ओर जहां बड़े उद्योग के लिए ‘लाल कॉरपेट’ बिछाया जा रहा है वहीं छोटे यानी एमएमएमई के लिए ‘रेड टैप’ लगाए जा रहे हैं। इस अवसर पर परेश राजा, कैलाश खंडेलवाल, प्रदीप खंडेलवाल, पी मोहन, किशोर मालवीय, चंदर खोसला, नितिन लोणकर, मधुसूदन रुंगटा, किरण पातुरकर उपस्थित थे।
उद्यमियों ने कहा कि ऑनलाइन प्रणाली भी इसमें सहायक नहीं है। उद्योग विभाग हो या फिर एमआईडीसी की ऑनलाइन सेवा। एमएसएमई के लिए उपयोगी नहीं है। एमआईडीसी की साइट सालों तक नहीं खुलती। केवल दिखावे के लिए काम किया जा रहा है। छोटे उद्योगों के लिए ‘इज ऑफ डुइंग बिजनेस’ केवल कागजों तक ही सीमित रह गया है।
उनका कहना है कि उद्योग लगाने के लिए भी विद्युत विभाग इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए पैसा लेता है। इससे छोटे उद्योगों की लागत बढ़ जाती है। मेंटेनेंस नहीं होने से अलग नुकसान उठाना पड़ता है। एमआईडीसी में जिस प्रकार पानी, सड़क का इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार रहता है उस प्रकार से बिजली के लिए कोई व्यवस्था नहीं है।
प्रदीप खंडेलवाल ने कहा कि सब्सिडी का पैसा नहीं मिल रहा है। यह बहुत बड़ा झटका है। विदर्भ और मराठवाड़ा के लिए सब्सिडी की घोषणा की गई थी परंतु कब क्या होगा किसी को पता नहीं है। ‘प्रॉम्प्ट पेमेंट डे’ की शर्त जोड़ दी गयी है। जो समय पर पमेंट नहीं करते हैं उन्हें सब्सिडी से बाहर कर दिया जाता है।
रुंगटा ने कहा कि आज विदर्भ में संतरा, कपास, सोयाबीन, चावल मुख्य फसलें हैं। इनके आधार पर उद्योग लगे हैं लेकिन इन उद्योगों को जीएसटी आधारित सब्सिडी योजना का कोई लाभ नहीं होता है। इस पर सरकार को गंभीरता से विचार करना होगा और सब्सिडी योजना को पुन: नये सिरे से पेश करना होगा, ताकि विदर्भ के उद्योग आगे बढ़ सकें। भ्रामक योजनाओं के कारण विदर्भ के उद्योग फलफूल नहीं पा रहे हैं।
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नितिन लोणकर ने कहा कि अब तक उद्योग नीति नहीं बन पाई है। केवल बातें हो रही हैं लेकिन नीति का अता-पता नहीं है। इस प्रकार एमएसएमई को लाभ नहीं मिल रहा है। सरकार को बड़े उद्योग के साथ-साथ एमएसएमई की ओर भी ध्यान देने की जरूरत है।