एकनाथ शिंदे, देवेंद्र फडणवीस व अजित पवार (सोर्स: सोशल मीडिया)
मुंबई: महाराष्ट्र की आर्थिक स्थिति खराब है। लेकिन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्ववाली महायुति सरकार ‘लाडली बहन’ और वैसी ही दूसरी योजनाओं को जारी रखने के साथ-साथ अब किसानों को कर्जमाफी भी देने की तैयारी कर रही है। इसकी वजह से बीजेपी, उप मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की शिवसेना और उपमुख्यमंत्री अजित पवार की एनसीपी के गठबंधन वाली महायुति सरकार में मतभेद गहराने लगे हैं। सूत्रों का कहना है कि वित्त विभाग की कमान संभाल रहे अजित ने किसानों की कर्जमाफी का विरोध किया है।
विधानसभा चुनाव के प्रचार के दौरान बीजेपी, एकनाथ शिंदे की शिवसेना और अजित पवार की एनसीपी के गठबंधन वाली महायुति ने लाडली बहन योजना की राशि बढ़ाकर 2100 रुपए प्रति माह करने, किसानों को मुफ्त बिजली देने सहित सहित कई और वादे किए थे। लेकिन शिंदे गुट और बीजेपी ने चुनाव जीतने के बाद किसानों का कर्ज माफ करने का भी वादा किया था।
इसलिए अब चुनाव के बाद किसान और विपक्ष सरकार से चुनावी वादों को पूरा करने की मांग कर रहे हैं। निकट भविष्य में होने वाले निकाय (मनपा) चुनावों को देखते हुए हुए बीजेपी व शिंदे गुट किसानों का कर्ज माफ करने के मूड में भी है। लेकिन वित्त विभाग की कमान संभाल रहे अजित पवार को राज्य की खाली तिजोरी इसकी अनुमति नहीं दे रही है। पहले से ही जारी योजनाओं के लिए पैसों के प्रबंध में उनके पसीने छूट रहे हैं। इसलिए अजित ने कर्जमाफी का विरोध किया है।
चुनाव जीतने के लिए मुफ्त में देने वाली योजनाओं के कारण महाराष्ट्र की आर्थिक स्थिति खराब हो चुकी है। विधानसभा चुनाव से पहले महायुति सरकार द्वारा शुरू की गई लाडली बहन योजना पर महाराष्ट्र सरकार के वित्त विभाग और विपक्ष ने चिंता जताई थी।
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राजकोषीय घाटा 2 लाख करोड़ के पार पहुंचने के कारण नियंत्रक एवं महालेखाकार (कैग) ने भी महाराष्ट्र की आर्थिक स्थित खराब होने का दावा कर दिया था। उस पर ‘मुख्यमंत्री माझी लड़की बहिन’ (लाडली बहन) योजना के कारण राज्य की तिजोरी पर 5,000 करोड़ रुपए का अतिरिक्त वित्तीय बोझ बढ़ गया।