धर्मराव बाबा आत्राम (सोर्स: सोशल मीडिया)
गड़चिरोली: महायुति सरकार के ‘कैबिनेट’ के विस्तार की तैयारी शुरू थी कि, दो दिन पहले राज्य में हुए बनावटी दवा घोटाले का मामला सामने आया है। इसमें अन्न व औषध प्रशासन मंत्री का नाम चर्चा में था। इसी मामले से पूर्व मंत्री धर्मरावबाबा आत्राम को अजित पवार ने कैबिनेट में मौका नहीं देने की चर्चा राजनीतिक गलियारों में तेज हो गई है।
पिछले सप्ताह में राज्य के अनेक सरकारी अस्पताल में फर्जी दवाईयों का भंडार मिला था। इस मामले से स्वास्थ्य विभाग समेत अन्न व औषध प्रशासन विभाग चर्चा में आया। एक टीवी चैनल ने बनावटी दवा घोटाले की खबर प्रकाशित की थी। जिसमें पूर्व अन्न व औषध प्रशासन मंत्री धर्मरावबाबा आत्राम का उल्लेख किया गया था।
मंत्रिमंडल के विस्तार के दो दिन पहले दवा घोटाले की चर्चा सामने आने से धर्मरावबाबा आत्राम का नाम कैबिनेट से हटाने की चर्चा राजनीतिक खेमे में शुरू होकर उनका नाम हटाने के लिए भाजपा के एक वरिष्ठ नेता द्वारा दबाव डाले जाने की बात भी कही जा रही है।
महाराष्ट्र की खबरें पढ़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें
विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद एनसीपी की सूची में धर्मरावबाबा आत्राम का नाम आगे था। कार्यकर्ताओं ने तो अभिनंदन के पोस्टर भी तैयार किये थे। लेकिन ऐन मौके पर आत्राम का नाम कैबिनेट की सूची से हटाया गया। जिसके कारण राजनीति का आखिरी चुनाव लड़ने वाले आत्राम को बड़ा झटका लगा है।
उनका कैबिनेट में चयन होना निश्चित था। जिसके कारण उनका गड़चिरोली जिले के पालकमंत्री पद के प्रयास शुरू था कि, मंत्रिमंडल में स्थान नहीं मिलने से गड़चिरोली वासियों को आश्चर्य का धक्का लगा है। वहीं भाजपा के विधायक डाॅ. मिलींद नरोटे पहली बार चुनकर आने से उनका मंत्रिमंडल में समावेश को लेकर प्रश्न था। लेकिन अनेक बार मंत्री पद का जिम्मा संभालने वाले धर्मरावबाबा आत्राम को कैबिनेट में मौका नहीं मिलने से अनेक तर्क विर्तक लगाए जा रहे है।
बनावटी दवा घोटाले का मुद्दा विरोधियों द्वारा सामने न करने के बाद भी केवल एक टीवी चैनल के खबर के आधार पर धर्मरावबाबा आत्राम को टार्गेट करने से उनके समर्थकों में नाराजगी व्यक्त की जा रही है। वहीं मंत्रिमंडल में शामिल अनेकों पर भ्रष्टाचार का आरोप था। इनमें से कुछ मंत्रियों की जांच भी हुई थी। लेकिन ऐसा होते हुए भी संबंधित नेताओं को कैबिनेट में मौका दिया गया।
लेकिन धर्मरावबाबा आत्राम पर घोटाले का आरोप न होते हुए भी उन्हें कैबिनेट में मौका नहीं दिया गया। पिछले सप्ताह में राज्य के अनेक सरकारी अस्पताल में बनावटी दवाईयां आपूर्ति करने का मामला सामने आया था।