गड़चिरोली कलेक्टर कार्यालय (सोर्स: सोशल मीडिया)
Gadchiroli News In Hindi: रिश्वतखोरी के गंभीर आरोप झेल चुके गड़चिरोली के उपजिलाधिकारी (भूसंपादन) प्रसेनजीत प्रधान को अब देसाईगंज में उपविभागीय अधिकारी (SDO) पद की कार्यकारी जिम्मेदारी सौंपे जाने से राजस्व विभाग की कार्यप्रणाली पर फिर सवाल खड़े हो गए हैं।
प्रसेनजीत प्रधान को 9 जनवरी 2022 को कोल्हापुर जिले के राधानगरी में 5.5 लाख रुपये की रिश्वत प्रकरण में रिश्वत प्रतिबंधक विभाग (एसीबी) ने गिरफ्तार किया था। मामला राधानगरी तहसील के फराल ग्राम पंचायत क्षेत्र के एक क्रेशर प्लांट से जुड़ा था। उस समय प्रधान एसडीओ पद पर कार्यरत थे।
प्लांट से सड़कें खराब हो रही थीं, इस कारण प्रधान व सरपंच ने नोटिस जारी कर प्लांट बंद करने का आदेश दिया था। बाद में शिकायतकर्ता प्लांट मालिक ने प्रधान से मुलाकात की तो उन्होंने सरपंच से मिलने की बात कही।
सरपंच ने मुलाकात के दौरान नोटिस रद्द करने के लिए प्रधान को 10 लाख रुपये और स्वयं को मासिक 1 लाख रुपये देने की मांग रखी। शिकायत के आधार पर एसीबी ने जाल बिछाकर प्रधान को गिरफ्तार किया था।
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गिरफ्तारी के बाद उन्हें गड़चिरोली जिलाधिकारी कार्यालय में अकार्यकारी पद यानी उपजिलाधिकारी (भूसंपादन) की जिम्मेदारी दी गई थी। लेकिन 26 सितंबर 2025 को उन्हें अचानक देसाईगंज उपविभागीय अधिकारी पद पर नियुक्त कर दिया गया।
जिले में कई बार रिश्वतखोरी में फंसे अधिकारियों को सजा स्वरूप यहां बदली की जाती है। नियम के अनुसार उन्हें गैर-कार्यकारी या गौण पदों पर रखा जाता है। लेकिन अल्प समय में ही ऐसे अधिकारियों को फिर से कार्यकारी पद दिए जाने से प्रशासनिक निर्णयों पर संदेह व्यक्त किया जा रहा है।
कुछ दिनों पहले भी तहसीलदार पद पर रिश्वतखोरी के आरोपी अधिकारी को जिम्मेदारी देने पर विरोध हुआ था, जिसके बाद जिलाधिकारी ने तुरंत उनका प्रभार वापस ले लिया था। अब सवाल यह उठ रहा है कि यदि रिश्वतखोरी के गंभीर आरोप झेल चुके अधिकारी कार्यकारी पदों पर बिठाए जाएंगे तो गड़चिरोली ‘नंबर वन’ जिला कैसे बनेगा?