कृषि मंत्री माणिकराव कोकाटे (photo credit; social media)
छत्रपति संभाजीनगर: काम से ज्यादा अपने विवादित बयानों के कारण चर्चा रहनेवाले महाराष्ट्र के कृषि मंत्री माणिकराव कोकाटे अपने बड़बोलेपन के कारण बार-बार राज्य की महायुति सरकार की फजीहत करा रहे हैं। शनिवार को छत्रपति संभाजीनगर, बलिराजा संगठन, भारत की ओर से एमजीएम के आर्यभट्ट सभागार में आयोजित किसानों के मेधावी बच्चों के सम्मान समारोह में उन्होंने कहा है कि कृषि मंत्री का पद मतलब उजाड़ गांव की जमीदारी जैसा ही है।
कृषि मंत्री माणिकराव कोकाटे ने कहा कि उप मुख्यमंत्री अजीत पवार ने मुझे यह कृषि विभाग जानबूझकर दिया है। उनके उक्त बयान के बाद सूबे की सियासत गरमाने लगी है। दावा किया जा रहा है कि कोकाटे अपने विभाग से खुश नहीं हैं।
कृषि शिक्षा का ले ज्ञान
मंत्री कोकाटे ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान किसानों की यथासंभव मदद कर रहे हैं। दो दिन पहले ही केंद्र सरकार ने 17 फसलों के लिए लगभग डेढ़ गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा की है। मुख्यमंत्री फडणवीस और उपमुख्यमंत्री अजीत पवार किसानों के कल्याण के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं। उन्होंने आगे कहा कि किसानों के बच्चों को कृषि शिक्षा प्राप्त करनी चाहिए और कृषि आधारित व्यवसायों में अपना करियर बनाना चाहिए।
पिछले बयान से पलटे
कृषि मंत्रालय को उजड़े गांव की जमींदारी बताने वाले कोकाटे हालांकि इस दौरान दो राेज पहले दिए गए इसी तरह के एक अन्य विवादित बयान से पलट गए। नासिक के सिन्नर जिले में बेमौसम की बारिश के कारण फसलों को हुए नुकसान का जायजा लेने पहुंचे कोकाटे ने कहा था कि खेतों में फसल कट चुकी है। अब क्या हम ‘हार्वेस्टिंग’ के बाद खेतों में पड़े गट्ठरों का पंचनामा करें?
शुरू हुआ विरोध
चंद्रशेखर बावनकुले ने कहा, मुख्यमंत्री और दोनों उपमुख्यमंत्रियों ने निर्देश दिए हैं कि कोई भी मंत्री ऐसे अपशब्दों का इस्तेमाल न करें जिससे समाज या जन भावना को ठेस पहुंचती हो। किसानों के जख्मों पर नमक रगड़ने वाले बयान से बचना चाहिए। अब अजीत पवार इस पर विचार करेंगे।
काम कम और बकबक ज्यादा हो रही है
विधायक रोहित पवार ने कहा, यदि कृषि मंत्री माणिकराव कोकाटे को लगता है कि कृषि विभाग मतलब उजड़े गांव की जमींदारी है। तो उन्हें इच्छा के विरुद्ध ऐसे उजड़े गांव की जमीदारी स्वीकार नहीं करनी चाहिए। सरकार को उन्हें मंत्री पद से हटाकर पहले मानवता और संवेदनशीलता का पाठ पढ़ाना चाहिए। कृषि मंत्री के पद से दुनिया का पेट भरने वाले किसानों की सेवा करने का मौका किसी कुशल और संवेदनशील व्यक्ति को दिया जाना चाहिए। इससे कम से कम किसान को न्याय तो मिलेगा! माननीय मुख्यमंत्री और माननीय अजीत पवार को इस पर फैसला करना चाहिए।