मराठा आरक्षण के जीआर पर असमंजस (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Maratha reservation GR: मराठा आरक्षण पर राज्य सरकार द्वारा जारी किए गए सरकारी आदेश पर उनके ही मंत्री छगन भुजबल ने नाराजगी जताई है। छगन भुजबल ने ओबीसी कार्यकर्ताओं से अपील की है कि वे राज्य भर के जिला कलेक्टरों और तहसीलदारों को ज्ञापन सौंपें और मांग करें कि ओबीसी का आरक्षण प्रभावित न हो। छगन भुजबल ने यह भी कहा कि सरकार के इस सरकारी आदेश को लेकर हम असमंजस में हैं, अगर ओबीसी का आरक्षण प्रभावित होता है तो हम इसके खिलाफ अदालत जाएँगे।
मनोज जरांगे के आंदोलन के बाद, राज्य सरकार ने मराठा आरक्षण के लिए नया सरकारी आदेश जारी किया। इसमें हैदराबाद राजपत्र लागू करने का निर्णय लिया गया। ओबीसी नेताओं ने इसका विरोध किया। मंत्री छगन भुजबल ने भी राज्य सरकार के इस फैसले पर नाराजगी जताई और कैबिनेट बैठक का बहिष्कार किया।
छगन भुजबल ने कहा कि इस सरकारी आदेश को लेकर अभी भी असमंजस की स्थिति बनी हुई है। हमारे नेताओं और विद्वानों ने राज्य में अलग-अलग जगहों पर इस बारे में बयान दिए हैं। कुछ जगहों पर ओबीसी कार्यकर्ताओं ने भूख हड़ताल शुरू कर दी है। हम कई कानूनी विशेषज्ञों, वकीलों और अन्य लोगों से चर्चा करके इस बारे में जानकारी प्राप्त कर रहे हैं। ज़रूरत पड़ने पर हम अगले चार दिनों में चर्चा करके इसके खिलाफ अदालत जाएंगे।
छगन भुजबल ने कहा कि हम इस जीआर के खिलाफ अदालत जाने को तैयार हैं और इसके लिए ज़रूरी कागजी कार्रवाई भी करेंगे। राज्य के कार्यकर्ताओं को अपने-अपने ज़िलों के कलेक्टरों और तहसीलदारों को ज्ञापन देना चाहिए कि ओबीसी के अधिकारों का हनन न होने दिया जाए। उन्हें शांतिपूर्वक अपनी बात रखनी चाहिए। इसके अलावा, अगर कोई भूख हड़ताल पर है या कोई और रास्ता अपना रहा है, तो उसे फिलहाल रोक देना चाहिए, भुजबल ने कहा।
मुंबई में मराठा आंदोलन से उठी धूल शांत नहीं हो रही है, ऐसा लग रहा है कि राज्य भर का ओबीसी समुदाय आक्रामक हो गया है। इसके सबसे बड़े हीरो छगन भुजबल हैं। वे राज्य कैबिनेट की बैठक के लिए सह्याद्री गेस्ट हाउस पहुंचे, लेकिन बैठक में शामिल नहीं हुए।
राकांपा की प्री-कैबिनेट बैठक में शामिल होने के बाद वे वहाँ से चले गए। मीडिया ने उनसे कैबिनेट बैठक में लाठी मारने की असली वजह जानने की कोशिश की, लेकिन भुजबल बिना कुछ कहे चले गए। इससे यह चर्चा और भी तेज़ हो गई कि वे नाराज़ हैं। वहां से वे सीधे भुजबल नॉलेज सिटी पहुंचे और वहां उन्होंने प्रकाश शेंडगे समेत कई ओबीसी नेताओं से चर्चा की।
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भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधान परिषद सदस्य (एमएलसी) परिणय फुके ने बुधवार को कहा कि देवेंद्र फडणवीस नीत सरकार ने मंत्रिमंडल के सभी सदस्यों को विश्वास में लेने के बाद मराठा आरक्षण पर सरकारी आदेश जारी किया और दावा किया कि कोई भी ओबीसी नेता इससे नाराज नहीं है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि सरकारी आदेश के खिलाफ कोई भी अदालत नहीं जाएगा।
फुके ने कहा कि कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि मौजूदा अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) कोटा प्रभावित नहीं होगा। महाराष्ट्र सरकार ने मंगलवार को एक समिति गठित करने की घोषणा की ताकि मराठा समुदाय के लोगों को उनकी कुनबी विरासत के ऐतिहासिक साक्ष्य पेश करने पर कुनबी जाति प्रमाणपत्र जारी किए जा सकें।
पत्रकारों से बातचीत में फुके ने कहा, “मुझे नहीं लगता कि कल जारी किए गए सरकारी आदेश के खिलाफ कोई अदालत जाएगा।” यह पूछे जाने पर कि क्या राज्य मंत्री और ओबीसी नेता छगन भुजबल नए आदेश से नाराज़ हैं, फुके ने कहा, “भुजबल अपने विभाग से जुड़े मुद्दों या कुछ निजी कारणों से नाराज़ हो सकते हैं। उन्होंने आज होने वाली मंत्रिमंडल बैठक के बहिष्कार के पीछे के कारणों को अभी तक स्पष्ट नहीं किया है।”
उन्होंने दावा किया, “कोई भी ओबीसी नेता नए आदेश से नाखुश नहीं है… भुजबल के मंत्रालय से जुड़े कुछ मुद्दे या उनके कार्यों के पीछे कुछ निजी कारण हो सकते हैं।” कार्यकर्ता मनोज जरांगे लंबे समय से मराठों को कुनबी के रूप में मान्यता देने की मांग कर रहे हैं। कुनबी राज्य का एक पारंपरिक कृषक समुदाय है और उन्हें नौकरियों एवं शिक्षा में सरकारी आरक्षण का पात्र बनाने के लिए राज्य में ओबीसी श्रेणी की सूची में शामिल किया गया है।