चंद्रपुर जिला परिषद (सौजन्य-नवभारत)
Chandrapur News: चंद्रपुर जिला परिषद में आरक्षण की घोषणा होते ही शुक्रवार को चुनावी बिगुल बज गया है। चंद्रपुर जिला परिषद में लगातार दूसरी बार महिलाओं का राज आएगा। हालांकि, इस बार अध्यक्ष पद अनुसूचित जाति (महिला) वर्ग के लिए आरक्षित है। इस वजह से अध्यक्ष पद का सपना देख रहे पुरुष नेताओं के होश उड़ गए हैं। इस बीच, इच्छुक महिला नेताओं ने चुनाव लड़ने की तैयारी शुरू कर दी है। चंद्रपुर जिला परिषद में कुल 56 सदस्य हैं। इनमें से छह जिला परिषद निर्वाचन क्षेत्र अनुसूचित जाति महिला वर्ग के लिए आरक्षित होंगे।
इसी आरक्षित निर्वाचन क्षेत्र से जिला परिषद की महिला अध्यक्ष चुनी जाएंगी। चंद्रपुर जिला परिषद में अब तक केवल दो महिला अध्यक्ष चुनी गई हैं। इसमें राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की वैशाली वासाडे लगातार ढाई साल तक अध्यक्ष रहीं। उसके बाद, भाजपा की संध्या गुरुनुले ने ढाई ढाई ऐसे पांच साल तक जिला परिषद अध्यक्ष पद संभाला है। पिछले लगभग चार वर्ष से प्रशासन नियुक्त जिला परिषद पर पिछले 10 वर्ष से भाजपा की सत्ता रही है।
भाजपा की संध्या गुरुनुले के पास अध्यक्ष पद की बागडोर थी। अब जबकि अध्यक्ष पद अनुसूचित जाति की महिला के लिए आरक्षित घोषित हो गया है, चुनाव और भी रंगारंग होगा। आगामी दिसंबर में जिला परिषद चुनाव होने की उम्मीद है। इस संबंध में भाजपा, कांग्रेस, शिवसेना, राष्ट्रवादी कांग्रेस, मनसे, वंचित, आरपीआई, बसपा के विभिन्न समूहों ने ग्रामीण क्षेत्रों में चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है।
अध्यक्ष पद के लिए आरक्षण की घोषणा होते ही, आरक्षण में फिट बैठने वाली दुर्गापुर जिला परिषद निर्वाचन क्षेत्र से निर्वाचित पूर्व महिला एवं बाल कल्याण अध्यक्ष रोशनी खान ने अभी से काम शुरू कर दिया है। इसके साथ ही, कई अनुसूचित जाति की महिलाएं भी कांग्रेस से जुड़कर काम करने लगी हैं। इसलिए अध्यक्ष पद का गणित इस बात पर निर्भर करेगा कि किस पार्टी को ज़्यादा ज़िला परिषद सदस्य मिलते हैं। ज़िला परिषद में पहले कांग्रेस का दबदबा हुआ करता था।
कांग्रेस ने पूर्व सांसद अब्दुल शफ़ी और पूर्व राज्यमंत्री वामनराव गड्डमवार, पंजाबराव गावंडे, सुधाकर कुंदोज़वार, प्रकाश पाटिल मारकवार, संतोष रावत, सतीश वारजुरकर जैसे ज़िला परिषद अध्यक्ष दिए हैं। वहीं भाजपा ने राजुरा के वर्तमान विधायक देवराव भोंगले, नामदेव काले, मारोती परचाके, संतोष कुमरे, संध्या गुरुनुले जैसे ज़िला परिषद अध्यक्ष दिए हैं।
गुटबाजी के कारण कांग्रेस पार्टी पिछले दस सालों से ज़िला परिषद की सत्ता से दूर रही है। अब अगर कांग्रेस को भाजपा से सत्ता हथियानी है, तो कांग्रेस नेताओं को एकजुट होकर चुनावों में कड़ी मेहनत करनी होगी। वहीं, अगर भाजपा को सत्ता बरकरार रखनी है, तो उसे गुटबाजी छोड़कर एकजुट होकर काम करना होगा।
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कांग्रेस नेता विजय वडेट्टीवार, सांसद प्रतिभा धानोरकर, जिला अध्यक्ष सुभाष धोटे को एक मंच पर आकर चुनाव में काम करना होगा, वहीं भाजपा के वरिष्ठ नेता हंसराज अहीर, पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष, पूर्व मंत्री विधायक सुधीर मुनगंटीवार, विधायक कीर्तिकुमार भांगडिया, विधायक देवराव भोंगले, विधायक करण देवतले को मतदाताओं को यह संदेश देना होगा कि वे एकजुट हैं।