
चंद्रपुर में बाघ की दहशत (सौजन्य-सोशल मीडिया)
Chandrapur News: गोंडपिपरी में एक हफ़्ते के भीतर ही एक बाघ ने किसान भाऊजी पाल और अलका पेंदोर को मार डाला। लगातार दो किसानों की मौत से इलाके में दहशत फैल गई है। नागरिक और किसान दहशत में जी रहे हैं। इसके बावजूद सप्ताह होने को है परंतु अब तक बाघ का बंदोबस्त नहीं किया गया है।
उल्लेखनीय है कि इन घटनाओं के बाद, गुस्साए किसान और ग्रामीण एकजुट हो गए और गोंडपिपरी के धाबा कॉर्नर पर चंद्रपुर-अहेरी राज्य राजमार्ग को 9 घंटे तक जाम कर दिया था। इस विरोध प्रदर्शन के दौरान, वन विभाग के अधिकारियों और तहसील प्रशासन ने 48 घंटों के भीतर बाघ को पकड़ने का वादा किया था, जिसके बाद विरोध प्रदर्शन वापस ले लिया गया।
अब पांच दिन बाद भी, वन विभाग बाघ को नियंत्रित करने में विफल रहा है। नतीजतन, ग्रामीण अब गुस्से में हैं। ग्रामीण अब वन विभाग के आश्वासन को झूठा दिलासा कह रहे हैं। चेकपिपरी, गणेशपिपरी, तारसा, विट्ठलवाड़ा और विहिरगांव के इलाकों में बाघ अभी भी खुलेआम घूम रहा है। किसी की भी हिम्मत नहीं है कि खेतों में जाकर फसलों की देखभाल करे। रात के समय हर गांव में भय का माहौल बन गया है।
वन विभाग की ओर से कई दावे किए जा रहे हैं कि पिंजरे लगाए गए, कर्मचारी तैनात किए गए, एआई कैमरे लगाए गए, शूटर लगाए गए, ड्रोन तैनात किए गए, लेकिन उनके सारे प्रयास बेकार साबित हो रहे हैं। हालाँकि बाघ का सटीक पता लगाने के लिए तकनीक और मानवशक्ति का इस्तेमाल किया जा रहा है, लेकिन नागरिक आरोप लगा रहे हैं कि यह वन विभाग की एक बड़ी नाकामी है। अगर अगले 24 घंटों में बाघ नहीं पकड़ा गया, तो हम फिर से बड़े पैमाने पर सड़कें जाम करेंगे, तहसील कार्यालय के सामने धरना देंगे और आमरण अनशन करेंगे।ग्रामीणों ने यह चेतावनी दी है।
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आंदोलन के दौरान 48 घंटे का अल्टीमेटम दिया गया था। वह अवधि समाप्त हो चुकी है। इलाके में बाघ का आतंक जारी है। हमलावर बाघ को तुरंत पकड़ा जाए। अन्यथा, हम फिर से आंदोलन की भूमिका निभाएंगे और सड़कों पर उतरेंगे।
बाघ को पकड़ने के लिए पूरी कोशिश की जा रही है। हमारा अभियान जल्द ही सफल होगा। इलाके के नागरिक शांतिपूर्वक सहयोग करें। और खेतों में जाते समय सावधानी बरतें।






