अम्मा स्मारक को लेकर गरमाई राजनीति (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Chandrapur News: स्थानीय गांधी चौक तथा दीक्षाभूमि परिसर में कथित रूप से प्रस्तावित अम्मा स्मारक को लेकर अब जिले में राजनीति गर्माने लगी है। एक ओर जहां स्थानीय विधायक किशोर जोरगेवार अपनी मां की स्मृति में प्रस्तावित इस स्मारक के निर्माण पर अडिग है, वहीं दूसरी ओर कांग्रेस, आम आदमी पार्टी तथा रिपब्लिकन पार्टी के कार्यकर्ताओं ने उक्त स्मारकों का पुरजोर विरोध शुरू किया है। कांग्रेस ने गांधी चौक में प्रस्तावित स्मारक का विरोध करते हुए इसे महात्मा गांधी चौक के प्राचीन महत्व को कम करने की साजिश बताया है।
वहीं आम आदमी पार्टी तथा रिपब्लिकन कार्यकर्ताओं ने दीक्षाभूमि पर किये जा रहे किसी भी स्मारक निर्माण को तत्काल रद्द करने की चेतावनी दी है। इस बीच स्थानीय विधायक किशोर जोरगेवार ने यहां कहा कि, उनकी माताजी के नाम पर अगर कहीं स्मारक बनता हो या किसी चौक का नामकरण किया जाता हो तो उसमें गैर क्या है। इस प्रस्तावित स्मारक का किया जा रहा विरोध पूर्णतः राजनीतिक विद्वेष से प्रेरित है। शहर के गांधी चौक में प्रस्तावित अम्मा स्मारक को लेकर कुछ राजनीतिक पार्टियों द्वारा किये जा रहे विरोध की पृष्ठभूमि पर यहां एक पत्रपरिषद मे बोलते हुए जोरगेवार ने स्मारक को लेकर किये जा रहे विरोध पर अचरज व्यक्त किया।
उन्होंने कहा कि, शहर के गांधी चौक से 90 मीटर से अधिक दूरी पर यह स्मारक प्रस्तावित है। इस स्मारक का प्रस्ताव फुटपाथ दुकानदार संगठन तथा बुरड़ समाज की ओर से मनपा की ओर पेश किया गया था, यह प्रस्ताव फरवरी में ही मंजूर हुआ था, लेकिन इतने दिनों बाद कांग्रेस इस प्रस्तावित स्मारक का विरोध कर रही है। उन्होंने कहा कि, जिले में हाल ही में उनकी अगुवाई में मुख्यमंत्री के जन्मदिवस के औचित्य पर धूमधाम से जनकल्याण सेवा सप्ताह आयोजित किया गया। इस सफल आयोजन को देखकर ही कांग्रेस ने महज राजनीतिक ईर्ष्या से अम्मा स्मारक का विरोध शुरू कर दिया है।
उन्होंने कहा कि, जिस स्थान पर बैठकर उनकी मां बांस की टोकरियां बेचा करती थी वहां अम्मा की स्मृति में कोई स्मारक बनाया जा रहा है, इसकी उन्हें ज़रा भी कल्पना नहीं थी। वह निर्णय मनपा प्रशासन ने लिया था। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया प्रस्तावित स्मारकस्थल पर कोई पुतला प्रस्तावित नहीं था, वहां सिर्फ अम्मा चौक का नाम फलक लगने वाला था।उन्होंने इन आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि, इस अम्मा स्मारक से गांधी चौक का कोई महत्व कम करने का न तो उद्देश्य था और ना ही वैसा प्रयास था।
उन्होंने यह भी साफ किया कि, वे इस स्मारक के प्रति कदापि आग्रही नहीं है, अगर शहर की जनभावना स्मारक के विरोध में है तो वे इस स्मारक के प्रस्ताव को रद्द करने के लिए तैयार है। गांधी चौक की तरह ही दीक्षाभूमि पर कथित रूप से बन रहे ऐसे ही स्मारक के विवाद पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि, विपक्षी राजनीतिक पार्टियों को अच्छे काम का विरोध करने की आदत सी हुई है। दीक्षाभूमि पर अम्मा की पढ़ाई उपक्रम के चलते गरीब और निर्धन परिवार के 284 होनहार विद्यार्थियों को प्रतियोगी परीक्षाओं का प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
यह प्रशिक्षण केंद्र भी वहां कुछ दिनों के लिए ही बनाया गया है, बाद में उसे निजी जगह पर अन्यत्र स्थानांतरित किया जाएगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि, ड़ॉ बाबासाहब आंबेडकर के चरणस्पर्श से पावन चंद्रपुर की दीक्षाभूमि का नागपुर दीक्षाभूमि की तर्ज पर विकास हो यह उनकी ही शुरू से सरकार के पास मांग रही है। इस विकास के लिए 100 करोड़ मंजूर करने का उनका ही आग्रह रहा था, जिसके चलते राज्य सरकार ने इस मांग को मंजूर करते हुए स्थानीय दीक्षाभूमि के विकास के लिए प्रथम चरण में 57 करोड़ रुपये मंजूर भी किये है।
इस बीच इस मुद्दे पर आंबेडकर समाज आक्रमक होता दिखाई दे रहा है। दीक्षाभूमि बचाव संघर्ष आंदोलन समिति के अनिल रामटेके ने 8 दिन का अल्टिमेटम देकर गांधी चौक एवं डॉ. आंबेडकर कालेज परिसर के अतिक्रमण एवं अभ्यासिका को तत्काल हटाने की मांग की है अन्यथा समय आनेपर आंदोलन करने, मोर्चा निकालने एवं समय आने पर केंद्र की तोडफोड करने का इशारा दिया है।
उन्होने पत्रपरिषद में कहा कि, दीक्षाभूमि का परिसर डा. बाबासाहेब आम्बेडकर के पदस्पर्श से पावन भूमि है। दीक्षाभूमि के निर्माता रिपब्लिकन नेता राज्यसभा के उपसभापति बैरि. राजाभाऊ खोब्रागडे ने गरीब, जरूरतमंद छात्रों का शिक्षा की सूविधा मुहैय्या कराने के उद्देश से डॉ. बाबासाहेब आम्बेडकर कालेज की स्थापना की। लेकिन हाल ही में दीक्षाभूमिपर सौंदर्यीकरण के नाम पर दीक्षाभूमि की जगह पर कब्जा करने का प्रयास किया जा रहा है। कालेज में अम्मा की पढाई के नाम पर अभ्यासिका केंद्र चलाकर विधायक जोरगेवार ने अतिक्रमण किया है।
इससे आंबेडकरी समाज में आक्रोश है। यह प्रकार दीक्षाभूमि की गरिमा एवं डॉ. आम्बेडकर के महत्व को कम करने का प्रयास है। विधायक जोरगेवार ने स्वयं की जगह लेकर अम्मा के स्मारक का निर्माण करे इसपर किसीको को आपत्ती नही है लेकिन, दीक्षाभूमि पर डॉ. बाबासाहेब के सिवाय किसी अन्य की प्रतिमा अथवा अन्य किसी तरह का अतिक्रमण कदापी सहा नही जायेगा।
ये भी पढ़े: महावितरण की मोनोपॉली, आपस में शहर बांट रही प्राइवेट कंपनियां, लाइसेंस याचिका का जमकर विरोध
रामटेके ने बताया, इस संदर्भ में आयुक्त पालिवाल ने केंद्र को अनुमती देने के बारे में पुछे जाने पर मेमोरिअल सोसायटी के पदाधिकारी घोटेकर परिवार एवं विधायक जोरगेवार के बीच चर्चा हुई है। इस मामले में मुझे बीच में ना लाने की जानकारी दी। विधायक ने चंद्रपुर वासियों को 200 युनिट बिजली निशुल्क देने का वादा किया था। लेकिन तब वे निर्दलीय थे इसलिए संबंधित मांग पूर्ण नही कर सके। अब वें सत्ता में है शहरवासियों को 200 युनिट मुफ्त बिजली देने की मांग कर सकते है। लेकिन वह यह वादा भूल गए।
कालेज परिसर में चल रहे अम्मा की पढाई नामक अभ्यासिका स्थायी तौर पर बंद करने, दीक्षाभूमि के भीतर एवं दीक्षाभूमि परिसर में किसी भी प्रकार का सौदर्यीकरण ना करने, दीक्षाभूमि से सटा क्लब ग्राऊंड स्थायी तौर पर दीक्षाभूमि को देने एवं विश्रामगृह को डॉ. बाबासाहेब आम्बेडकर स्मारक का नाम दिए जाने, आगामी 15 एवं 16 अक्टूबर को दीक्षाभूमि समारोह में किसी भी पार्टी के राजनितिक नेता खासकर कांग्रेस, बीजेपी को निमंत्रित ना करने की मांग की गई।
8 दिन के भीतर गांधी चौक एवं डॉ. आंबेडकर कालेज समीपस्थ सौंदर्यीकरण हटाने, अम्मा की पढाई नामक अभ्यासिका केंद्र बंद नही करने पर समाज द्वारा आंदोलन, मोर्चा एवं समय आने पर केंद्र की तोडफोड करने का इशारा दीक्षाभूमि बचाव संघर्ष समिति के संयोजक अनिल रामटेके एवं समाज अनुयायीयों ने किया है। पत्रपरिषद में अनिल रामटेके, रामू तिवारी, सुरेश नारनवरे, मृणाल मेश्राम, राजु भगत, किशोर पोतनवार, अंकुश वाघमारे, अनिरूध्द वनकर, निलेश ठाकरे आदि उपस्थित थे।
अम्मा की पढाई के नाम पर विधायक द्वारा शहर में उद्योग चलाए जा रहे है। अभ्यासिका में क्लासेस लिए जा रहे है। आरएसएस एवं मनुवादियों के विचारों की राह पर चल रहे विधायक जोरगेवार बाबासाहब आम्बेडकर एवं महात्मा गांधी के विचारों को कम करने का प्रयास कर रहे है ऐसा आरोप कांग्रेस शहर अध्यक्ष रामु तिवारी ने किया है।