चंद्रपुर जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक (सोर्स: सोशल मीडिया)
चंद्रपुर: चंद्रपुर में जिला केंद्रीय सहकारी बैंक में वर्ष 2016 से 2019 के बीच हुए घोटाले की जांच पूरी हो गई है और अब तत्कालीन अध्यक्ष और सीईओ से 2.93 करोड़ रुपए की वसूली के संबंध में रिपोर्ट पेश की गई है। इस खबर की चर्चा सहकारिता क्षेत्र में हो रही है।
सूत्रों के अनुसार सरकार ने सुरक्षा गार्ड प्रदान करने, बैंक के स्वयं के और किराए के भवनों की मरम्मत, निर्माण लेनदेन और 2016 से 2019 के बीच 20 स्वर्ण शुद्धता परीक्षण मशीनों की खरीद के अनुबंध में अनियमितताओं के लिए जिम्मेदारी निर्धारित करने के लिए जांच शुरू की थी।
इस जांच की रिपोर्ट प्राधिकृत अधिकारी प्रशांत धोटे ने शुक्रवार को बैंक के निदेशकों की एक विशेष बैठक बुलाकर पेश की। इसमें बैंक के पूर्व अध्यक्ष मनोहर पाऊणकर, पूर्व सीईओ सुधाकर अर्जुनकर, चित्तरंजन नाइक, शांताराम बारबटकर, मारोती पोटे, सिद्धार्थ दुबे और श्याम चिलमुलवार को दोषी ठहराया गया है। सभी से 2 करोड़ 93 लाख 40 हजार 356 रुपए की वसूली का आदेश दिया गया है।
मनोहर पाऊणकर 2016 से 2019 तक सीडीसीसी बैंक के अध्यक्ष थे, उनके कार्यकाल में हुए तमाम कार्यों में करोड़ों रुपए के गबन की शिकायतें की गई। पाऊणकर ने बैंक में सुरक्षा गार्ड उपलब्ध कराने का ठेका अपने एक करीबी परिचित ‘मेस रक्षक सिक्योरिटी सर्विसेज’ को दिया था। इसके अलावा बैंक के स्वामित्व वाले और किराए के भवनों की कुछ मरम्मत भी की गई।
सिंदेवाही में नए भवन का निर्माण, गोंडपिपरी शाखा में फार्म शौचालय का निर्माण, नेरी शाखा में सुरक्षा दीवार का निर्माण, चंदनखेड़ा शाखा में भवन निर्माण और विद्युत कार्य, चिमूर शाखा में भवन मरम्मत और अतिरिक्त कार्य, शेगाव शाखा में शौचालय का निर्माण, माढेली शाखा में भवन निर्माण और नए भवन का निर्माण संदिग्ध रहा।
इसके अलावा पोंभुर्णा शाखा में भवन निर्माण, मूल में भवन निर्माण और निर्माण, बल्लारपुर में नए भवन का निर्माण और आंतरिक कार्य, मरम्मत, आंतरिक कार्य, चंद्रपुर में मुख्य शाखा में निर्माण के साथ-साथ सोने की शुद्धता जांचने वाली मशीन की खरीद में लेनदेन अत्यधिक संदिग्ध रहा।
इन सभी मामलों की जांच करने से पहले, महाराष्ट्र सहकारी सोसायटी अधिनियम के तहत इस अवधि के दौरान हुए लेन-देन का परीक्षण ऑडिट किया गया था। जिला विशेष लेखा परीक्षक एसबी गोडे द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट के बाद राज्य सरकार ने वित्तीय वसूली योग्य राशि के लिए देयता निर्धारित करने और गबन के कारण राशि की वसूली का आदेश देने के लिए प्रशांत धोटे को अधिकृत अधिकारी नियुक्त किया। जांच अधिकारी धोटे ने लगभग छह महीने तक जांच की और रिपोर्ट बैंक के बोर्ड के समक्ष प्रस्तुत की।
मनोहर पाऊणकर से 1 करोड़ 46 लाख 70 हजार 179 रुपए की वसूली का आदेश जारी किया गया है। प्राधिकृत अधिकारी प्रशांत धोटे ने बैंक के पूर्व सीईओ सुधाकर अर्जुनकर से 35 लाख 85 हजार 523 रुपए, सिद्धार्थ दुबे से 15 लाख 47 हजार 427 रुपए, श्याम चिलमुलवार से 22 लाख 23 हजार 256 रुपए, शांताराम बारबटकर से 70 लाख 20 हजार 95 रुपए व मारोती पोटे से 54 लाख 51 हजार 16 रुपए की वसूली का आदेश दिया है।
जांच रिपोर्ट से पता चलता है कि पाऊणकर जब चेयरमैन थे, तब उन्होंने तत्कालीन सीईओ के साथ मिलीभगत कर करोड़ों रुपए का गबन किया। खास बात यह है कि उनके कार्यकाल में अनुकंपा भर्ती में करोड़ों रुपए की धोखाधड़ी का मामला सामने आया था। 24 जून 2020 को पाऊणकर और सिद्धार्थ दुबे के खिलाफ रामनगर थाने में मामला दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। दोनों कई महीनों तक जेल में रहे।
नागपुर जिला केंद्रीय सहकारी बैंक में करोड़ों रुपए की धोखाधड़ी के मामले में कांग्रेस नेता सुनील केदार के खिलाफ महाराष्ट्र सहकारी सोसायटी अधिनियम के तहत कार्रवाई की गई। इसके बाद केदार को विधायक सीट गंवानी पड़ी। वे पिछला विधानसभा चुनाव भी नहीं लड़ पाए थे।
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चूंकि यह मनोहर पाऊणकर का मामला है, इसलिए उनके लिए आगामी बैंक चुनाव लड़ना मुश्किल होगा। इस कार्रवाई के कारण यह आशंका जताई जा रही है कि पाऊणकर को बैंक के निदेशक पद से भी हाथ धोना पड़ सकता है।