Illegal Kidney Transplant:चंद्रपुर में अवैध किडनी गिरोह (सोर्सः सोशल मीडिया)
Chandrapur Kidney Racket: महाराष्ट्र के चंद्रपुर जिले में एक किसान की शिकायत के बाद शुरू हुई अवैध किडनी गिरोह की जांच में पूरे भारत में फैले किडनी प्रत्यारोपण नेटवर्क का खुलासा हुआ है, जिसमें एजेंट, अंगदाता, डॉक्टर और अस्पताल शामिल हैं। पुलिस अधिकारी ने बुधवार को यह जानकारी दी। जांच के दौरान पता चला कि तमिलनाडु के त्रिची स्थित एक निजी अस्पताल में कई अवैध प्रत्यारोपण ऑपरेशन किए गए। दो डॉक्टरों के नाम सामने आने के बाद एसआईटी और स्थानीय अपराध शाखा (एलसीबी) के कर्मियों को उन्हें दिल्ली और त्रिची में हिरासत में लेने के लिए भेजा गया।
यह जांच चंद्रपुर जिले के किसान रोशन कुडे की शिकायत पर शुरू हुई थी। उन्होंने कथित तौर पर स्थानीय साहूकारों से लिए गए ऋण को चुकाने के लिए कंबोडिया में अपनी किडनी बेच दी थी। चंद्रपुर के पुलिस अधीक्षक सुदर्शन मुम्मका ने बताया कि अब तक छह साहूकारों को गिरफ्तार किया जा चुका है।
पुलिस अधीक्षक ने प्रेसवार्ता में बताया कि तकनीकी डेटा और मोबाइल जांच से पता चला कि किडनी प्रत्यारोपण नेटवर्क कंबोडिया तक फैला था और इसमें एजेंट, दाता, डॉक्टर और अस्पताल शामिल थे। आरोपियों में से हिमांशु भारद्वाज ने स्वीकार किया कि डॉ. रविंदर पाल सिंह (नई दिल्ली) और डॉ. राजरत्नम गोविंदास्वामी (त्रिची, स्टार केआईएमएस अस्पताल) ने उसकी किडनी सर्जरी द्वारा निकाली थी।
ये भी पढ़े:टाइगर रिजर्व्स हाउसफुल! विदर्भ के जंगलों में 3000 से अधिक सैलानी करेंगे बाघों का दीदार
जांच में यह भी सामने आया कि प्रत्येक अवैध किडनी प्रत्यारोपण के लिए 50 से 80 लाख रुपये वसूले गए, जबकि वास्तविक दाता को केवल 5 से 8 लाख रुपये ही दिए गए। डॉ. सिंह इलाज और अस्पताल के खर्चों के लिए लगभग 10 लाख रुपये लेते थे, जबकि डॉ. गोविंदास्वामी लगभग 20 लाख रुपए वसूलते थे।
एसआईटी और स्थानीय अपराध शाखा के कर्मियों को दिल्ली में डॉ. सिंह और त्रिची में डॉ. गोविंदास्वामी को गिरफ्तार करने के लिए भेजा गया। ट्रांजिट रिमांड के दौरान, दिल्ली की एक अदालत ने डॉ. सिंह को अंतरिम जमानत दी और उन्हें दो जनवरी को चंद्रपुर के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के सामने पेश होने का निर्देश दिया। पुलिस डॉ. गोविंदास्वामी को गिरफ्तार करने के प्रयास कर रही है।
(एजेंसी इनपुट के साथ)