राजा रावण दहन की प्रथा पर कानूनन प्रतिबंध लगाए (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Chandrapur News: गोंडवाना संग्राम परिषद जिला समिति ने पालकमंत्री अशोक उइके को ज्ञापन सौंपकर विजयादशमी के दिन महात्मा राजा रावण का पुतला दहन करने की प्रथा पर कानूनन प्रतिबंध लगाने की माँग की है। विजयादशमी के दिन जिले में कई जगहों पर कुछ समुदाय और धर्म महात्मा राजा रावण का पुतला जलाते हैं। महात्मा राजा रावण गोंडी धर्म और सभी आदिवासियों के एक महापुरुष हैं। इसलिए हमारी धार्मिक भावनाएँ आहत होती हैं और धार्मिक अपवित्रता की जाती है।
इससे समाज में दरार पैदा होती है। इस स्थिति के कारण सांप्रदायिक दंगे भड़कने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। रावण दहन कोई परंपरा नहीं, बल्कि तीस साल पहले कुछ समुदायों और धर्मों द्वारा शुरू किया गया एक नया चलन है।
किसी भी धार्मिक ग्रंथ या कानून की किताब में, भारतीय संविधान में, किसी धार्मिक, ऐतिहासिक, पौराणिक महापुरुष की मूर्ति को जलाने या उनका अपमान करने का कोई प्रावधान नहीं है, लेकिन समाज के कुछ लोग जो सामाजिक विभाजन पैदा करने के उद्देश्य से महात्मा राजा रावण की मूर्ति जलाते हैं, उन्हें इसकी अनुमति नहीं दी जानी चाहिए, ऐसी गोंडवाना संग्राम परिषद जिला परिषद समिति चंद्रपुर की ओर से राजकुमार मसराम, भाऊ टेकाम, कृपाल लिंगो संघर्ष समिति, विलास नैताम, नरेंद्र मड़कम, ममता नैताम, वनिता मड़काम, माधुरी कुड़मते, सरिता कुंभारे ने मांग की है।
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जिस स्थान पर महात्मा राजा रावण की मूर्ति जलाई जा रही है, उन पर भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 153 ए के तहत मामला दर्ज किया जाना चाहिए। संग्राम गोंडवाना आदिवासी संगठन ने पालक मंत्री को एक ज्ञापन प्रस्तुत किया है जिसमें मांग की गई है कि मुंबई पुलिस अधिनियम की धारा 298 के अनुसार 131,134,135 आपराधिक अपराध दर्ज किए जाएं और महात्मा राजा रावण को जलाने की प्रथा को कानून द्वारा प्रतिबंधित किया जाए।