श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर भंडारा में उल्हास (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Bhandara News: जिले में श्री कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व बड़ी श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया गया। राधा कृष्ण और गोप गोपियों की पारंपरिक वेशभूषा में सजे बच्चों ने स्कूलों, मंदिर परिसरों और गांवों में मानो गोकुल ही उतर आया हो। बच्चों की उपस्थिति से सुबह से ही स्कूलों का माहौल खुशनुमा रहा। छात्र-छात्राओं, शिक्षकों और नागरिकों ने पारंपरिक वेशभूषा धारण कर जन्माष्टमी कार्यक्रम में भाग लिया। विभिन्न स्कूलों में दही हांडी, राधा कृष्ण वेशभूषा प्रतियोगिता, गायन, नृत्य नाटिका जैसी सांस्कृतिक गतिविधियों ने कृष्ण जन्मोत्सव को रंगीन बना दिया। स्कूली छात्राओं ने राधा कृष्ण पर आधारित नाटक, भजन और नृत्य प्रस्तुत किए। शिक्षकों और छात्रों ने मिलकर रासनृत्य प्रस्तुत किया, जिससे माहौल और भी रंगीन हो गया।
दही हांडी बनाकर छात्रों ने गोविंदा की तरह उसे परत-दर-परत फोड़ने का प्रयास किया. दही हांडी फूटते ही, पूरा इलाका “हाथी घोड़ा पालकी, जय कन्हैया लाल की और आला रे आला गोविंदा आला जैसे नारों से गूंज उठा। छात्र-छात्राएं गुलाल लगाकर खुशी से झूम उठे और बाहर निकल पड़े। कार्यक्रम का समापन प्रसाद और गोपालकाला वितरण के साथ हुआ। गोपालकाला के नाम से प्रसिद्ध दही हांडी उत्सव भी जिले में जन्माष्टमी के दूसरे दिन पारंपरिक तरीके से मनाया गया।
विभिन्न युवा समूहों ने दही हांडी का आयोजन किया। भगवान कृष्ण अपने बच्चों के साथ परतों में दही हांडी फोड़ते थे और यह उत्सव हर साल उत्साह के साथ मनाया जाता है। युवा समूह की ओर से सजाई गई दही हांडी के चारों ओर रंग-बिरंगी रोशनी, डीजे की धुन, मंच और बैनरों ने उत्सव में चार चांद लगा दिए। विजेता टोलियों को पुरस्कार देकर सम्मानित किया जाता है। श्री कृष्ण के दही प्रेम की याद दिलाने वाला यह पर्व आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में उसी उत्साह के साथ मनाया जाता है।
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गांवों के मंदिरों में भी जन्माष्टमी का पर्व भक्तिभाव से मनाया गया। राधा कृष्ण की पारंपरिक वेशभूषा में आए बालगोपालों ने मंदिर परिसर को जगमगा दिया। गांव से ढोल की थाप के साथ हांडी निकाली गई। डफ और मृदंग की ध्वनि के साथ भजनों की प्रस्तुति ने वातावरण को भक्तिमय बना दिया। मध्यरात्रि में पालना हिलाकर श्रीकृष्ण जन्मोत्सव मनाया गया। वातावरण जय कन्हैया लाल की और गोपाल गोविंदा के नारों से गूंज उठा। मंदिरों में रात भर भजन-कीर्तन और जागरण का आयोजन किया गया।
अनेक भक्तों ने व्रत, पूजन और आरती करके भक्तिभाव से भाग लिया। मंदिर समितियों ने दर्शन कक्ष को आकर्षक फूलों से सजाया था। भक्तों ने गोपालक को प्रसाद वितरित कर उत्सव मनाया। विद्यालयों में आयोजित होने वाले ढिंढोरा, मंदिर में पालना समारोह से लेकर युवा समूहों की दही हांडी तक, कृष्ण जन्म का उत्साह हर जगह महसूस किया गया। छात्रों और युवाओं की भागीदारी ने उत्सव में एक विशेष रंग भर दिया। गुलाल, डीजे, भक्ति गीतों और लोक नृत्यों की धुनों से जिले का वातावरण मानो कृष्णमय हो गया।