प्रहार का भंडारा जिलाधिकारी कार्यालय पर मोर्चा (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Bhandara News: किसानों और बैल बाजार से जुड़े व्यापारियों की विभिन्न लंबित मांगों को लेकर 13 अगस्त को प्रहार संगठन ने जिलाधिकारी कार्यालय पर धड़क मोर्चा निकाला। किसानों की समस्याओं की अनदेखी का आरोप लगाते हुए उपस्थित लोगों ने जोरदार नारेबाजी की और तत्काल ठोस कदम उठाने की मांग की। करीब डेढ़-दो महीने पहले भंडारा का बैल बाजार भिलेवाड़ा में स्थानांतरित किया गया, लेकिन नए स्थल पर अब तक पर्याप्त सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं। व्यापारियों को पीने का पानी, पशुओं के लिए छांव, सड़क सुविधा, बिजली आपूर्ति और शौचालय जैसी बुनियादी जरूरतों की कमी का सामना करना पड़ रहा है। इससे व्यापार ठप हो गया है और व्यापारी खरीद-फरोख्त पूरी तरह बंद कर चुके हैं।
मोर्चे में शामिल लोगों ने इन सुविधाओं की तत्काल और स्थायी व्यवस्था कर बाजार को सुचारू रूप से शुरू करने की मांग की। मांगों में आवश्यक दस्तावेज देने के बाद भी पशु व्यापारियों को होने वाली अनावश्यक परेशानियां तत्काल बंद की जाएं। गोरक्षक के नाम पर होने वाले शोषण को रोका जाए। व्यापार में शामिल पशुओं (गाय को छोड़कर) की ढुलाई के दौरान पुलिस या अन्य समूह की ओर से होने वाली लूटमार पर रोक लगाकर दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाए।
किसानों की खेत मजदूरी के लिए पाले जाने वाले पशुओं की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए। धान बोनस देने में किस्तों की व्यवस्था बंद कर सीधा बोनस दिया जाए। 7/12 उतारे पर दर्ज किसानों के नाम मतदाता सूची में शामिल कर उसी के अनुसार कर्जमाफी लागू की जाए। बैंक और वित्तीय संस्थाएं कर्जमाफी के मानदंडों में किसानों के लिए अन्यायपूर्ण बाधाएं न खड़ी करें। किसानों और व्यापारियों की सुरक्षा के लिए प्रशासन ठोस कदम उठाए। मोर्चे के बाद जिलाधिकारी कार्यालय में किसान प्रतिनिधियों और अधिकारियों के बीच चर्चा हुई। जिलाधिकारी ने जल्द बैठक आयोजित कर सकारात्मक कदम उठाने का आश्वासन दिया।
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आंदोलन में मुख्य रूप से अंकुश वंजारी, रमेश करेमोरे, गुलाब बारई, रामेश्वर कांबले, यशवंत लकड़े, गणेश मलेवार, आनंदराव चौपकर, वासुदेव घुगुसकर, चारूल रामटेके, रूपेश चुंबरे, बालू दुरुगकर, किसन बारई, हिमेश सेलोकर, नरेश पेशने, स्वप्नील बारई, राजेंद्र तिजारे, भारत मसरके, बंडू भरने, शालीक डोकरीमारे, नामदेव शेंद्रे, महेश सेलोकर, राहुल तिजारे, महेश गिरेपुंजे, बंडू वैद्य, सुनील कहालकर, गिरधारी मेहर समेत बड़ी संख्या में किसान, व्यापारी, गाड़ी चालक, मालिक और विभिन्न दलों के सैकड़ों कार्यकर्ता मौजूद थे।