भंडारा के पालकमंत्री पंकज भोयर (सोर्स: सोशल मीडिया)
Bhandara Guardian Minister Pankaj Bhoyar News: भंडारा जिले के राजनीतिक और प्रशासनिक इतिहास में वर्षों से एक कमी महसूस की जाती रही है। भंडारा को पालकमंत्री का पद तो मिला, लेकिन जनता का कहना रहा कि उसका ठोस लाभ आम नागरिकों तक कभी नहीं पहुंचा। अक्सर बाहरी नेताओं को पालकमंत्री बनाया गया और स्थानीय समस्याएं उपेक्षित रह गईं। इसी पृष्ठभूमि में हाल ही में नियुक्त किए गए पालकमंत्री डॉ. पंकज भोयर ने जनता की उम्मीदों को नई दिशा देने के लिए “जनता दरबार” शुरू करने की घोषणा की है। इसे जिले में एक नई परंपरा के रूप में देखा जा रहा है।
डॉ. भोयर की पहल पर जनता दरबार हर सोमवार सुबह 10 बजे से दोपहर 1 बजे तक जिले के सातों तहसील कार्यालयों में आयोजित होगा। इसकी अध्यक्षता तहसीलदार करेंगे। नागरिक यहां शासन और प्रशासन से संबंधित लंबित शिकायतें व आवेदन सीधे प्रस्तुत कर सकेंगे। गटविकास अधिकारी आवेदन स्वीकार करेंगे, जबकि तहसील स्तर पर सभी विभाग प्रमुख एक ही कक्ष में मौजूद रहकर तत्काल आवेदन लेंगे और समाधान की कार्ययोजना तैयार करेंगे।
जनता दरबार में प्रस्तुत किए गए आवेदन यदि तहसील स्तर पर नहीं सुलझे, तो उन्हें उपविभागीय स्तर पर भेजा जाएगा। वहां भी समाधान न मिलने की स्थिति में मामला जिला स्तर तक पहुंचेगा। इस प्रक्रिया से नागरिकों को बार-बार कार्यालयों के चक्कर काटने से राहत मिलने की उम्मीद है।
प्रक्रिया के तहत विभाग प्रमुखों को मंगलवार से गुरुवार तक मिले आवेदनों पर कार्रवाई कर तहसीलदार कार्यालय में रिपोर्ट देना अनिवार्य होगा। गुरुवार को उपविभागीय अधिकारी समीक्षा करेंगे, शुक्रवार को जिलाधिकारी चर्चा करेंगे और शनिवार को समेकित रिपोर्ट पालकमंत्री कार्यालय में सौंपी जाएगी।
इसके अलावा तहसीलदार हर शुक्रवार को जिला सूचना कार्यालय को पूरे सप्ताह के आवेदनों की स्थिति की जानकारी देंगे, जिसे बाद में मीडिया में प्रकाशित किया जाएगा। इस व्यवस्था से शासन की कार्यप्रणाली में पारदर्शिता लाने का प्रयास है।
भंडारा लंबे समय से इस मामले में दुर्भाग्यशाली रहा कि उसे ज्यादातर बाहरी पालकमंत्री मिले, जिसके चलते विकास कार्य प्रभावित होते रहे। लेकिन विदर्भ से जुड़े और क्षेत्र की नब्ज़ समझने वाले डॉ. पंकज भोयर की नियुक्ति से जनता की उम्मीदें बढ़ गई हैं। नागरिकों का मानना है कि वे स्थानीय समस्याओं को बेहतर तरीके से समझकर समाधान की दिशा में ठोस कदम उठा सकते हैं।
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विशेषज्ञों का मानना है कि जनता दरबार केवल आवेदन स्वीकारने का मंच नहीं, बल्कि यह सीधे जनता से संवाद का अवसर भी है। विभाग प्रमुख जनता के सामने बैठकर कार्रवाई की दिशा तय करेंगे, यह स्वयं में प्रशासनिक प्रतिबद्धता और राजनीतिक विश्वसनीयता की परीक्षा है। यदि नागरिकों की समस्याएं त्वरित रूप से हल हुईं तो यह पहल जिले के विकास में नया अध्याय जोड़ सकती है। अन्यथा, यह भी पूर्व योजनाओं की तरह भुला दी जाएगी।
फिलहाल जनता का रुख सकारात्मक है और लोग न्याय व विकास की उम्मीद के साथ इस नई पहल की ओर देख रहे हैं। आने वाले कुछ हफ्तों में यह साफ हो जाएगा कि जनता दरबार जिले की किस्मत बदलने में कितना कारगर साबित होता है।