
कॉन्सेप्ट फोटो (सोर्स: सोशल मीडिया)
भंडारा: महाराष्ट्र ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के कार्यों का संचालन और समन्वय, मजदूरों की देखरेख, दस्तावेजों को अद्यावत करना सहित अनेक कार्य ग्राम रोजगार सेवक अल्प मानधन पर कर रहे हैं, लेकिन प्रशासन की उपेक्षा के कारण उन्हें गत पांच महीनों से वेतन का भुगतान नहीं किए जाने से ग्राम रोजगार सेवक आर्थिक समस्याओं से जूझ रहे हैं।
वर्ष 2005 में केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी नामक एक योजना लाई और इसे कानून में बदल दिया। इसी समय राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम अस्तित्व में आया। ग्रामीण क्षेत्रों में अकुशल मजदूरों को प्रत्येक जॉब कार्ड पर 100 दिन के काम की गारंटी प्रदान की गई।
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भंडारा जिले में ग्राम स्तर पर निगरानी के साथ-साथ रिपोर्ट बनाए रखने और दस्तावेजों को अद्यतन रखने की जिम्मेदारी-के लिए रोजगार सेवकों की नियुक्ति की गई। लेकिन लंबे समय से अल्प वेतन पाने वाले ग्राम रोजगार सेवक 5 माह से वेतन से वंचित हैं।
ग्राम रोजगार सेवक को वेतन का भुगतान किए गए कार्यों के निधि में से 6 प्रतिशत निधि से किया जाता है। उक्त योजना केन्द्र सरकार की है। अन्य राज्यों में तय समय पर वेतन मिल रहा है तो फिर महाराष्ट्र में देरी क्यों? राज्य में ग्राम रोजगार सेवकों को वर्ष 2016 से यात्रा एवं जलपान भत्ता, स्टेशनरी खर्च, प्रोत्साहन भत्ता के साथ ही बढ़ा हुआ मानधन तथा अप्रैल 2024 से अगस्त 2024 तक रोजगार सेवकों का मानधन बकाया है।
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पारिश्रमिक वेतन सरकार की ओर से जमा नहीं किए जाने के कारण रोजगार सेवकों में सरकार के प्रति आक्रोश दिख रहा है। भंडारा जिले के लाखनी तहसील में 71 और पूरे जिले में 528 ग्राम रोजगार सेवक कार्यरत हैं। उन्हें जल्द से जल्द पारिश्रमिक का भुगतान करने की मांग ग्राम रोजगार सेवकों ने की है।






