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तड़ीपार अपराधियों का डेरा घर में ही! सीमावर्ती गांवों में निवास, आदेश सिर्फ कागजों पर

Absconding Criminal: तडीपार अपराधी भंडारा जिले में रहने का दिखावा करते हैं, लेकिन रात में अपने घर में डेरा जमाते हैं और सुबह होते ही फिर “कार्रवाई के मुताबिक” हद्दपार क्षेत्र में चले जाते हैं।

  • By आंचल लोखंडे
Updated On: Aug 10, 2025 | 07:31 PM

तड़ीपार अपराधियों का डेरा घर में ही! (सौजन्यः सोशल मीडिया)

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Bhandara News: भंडारा जिले में अपराध पर नियंत्रण लाने के लिए पुलिस और प्रशासन तड़ीपार (हद्दपार) की कार्रवाई तो कर रहे हैं, लेकिन इसका वास्तव में कितना प्रभाव पड़ रहा है, इस पर बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। तड़ीपार किए गए कई अपराधियों का आचरण देखकर यह साफ दिखाई देता है कि आदेश का पालन करने के बजाय वे पुलिस तंत्र की नज़र से बचकर आसानी से अपने मूल गांव लौट आते हैं।

दिन में हद्दपार जिले में रहने का दिखावा करते हैं, लेकिन रात में अपने घर में डेरा जमाते हैं और सुबह होते ही फिर “कार्रवाई के मुताबिक” हद्दपार क्षेत्र में चले जाते हैं। यह सिलसिला वर्षों से जारी है, जिससे नागरिकों में प्रशासन की कार्यक्षमता को लेकर शंका पैदा हो गई है। खास बात यह है कि सीमावर्ती इलाकों के पुलिसकर्मियों को इन गतिविधियों की पूरी जानकारी होते हुए भी, कार्रवाई करने के बजाय कुछ पर आरोपी से मिलीभगत कर आर्थिक लाभ लेने के आरोप लग रहे हैं।

सीमा गांवों का गलत फायदा

नागपुर सीमा पर रामटेक, मौदा, उमरेड तहसील और गोंदिया जिले के खेडेपर, सोनेखारी, खैरी, सेलोटपार, मनोरा, पाटीलटोला, नवेगांव, घाटकोरोडा, मुंडीकोटा जैसे क्षेत्रों में तड़ीपार आरोपी दिन में रहते हैं। वास्तव में ये गांव भंडारा से कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर हैं, जिससे रात में अपने मूल गांव लौटना उनके लिए बेहद आसान है।

जैसे करडी गांव से केवल 2 किमी पर गोंदिया जिले की सीमा शुरू होती है। करडी के एक अवैध शराब विक्रेता को गोंदिया में तड़ीपार किया गया था। आदेश के मुताबिक वह दिन में नवेझरी गांव में किराए के मकान में रहता है, लेकिन रात को करडी लौट आता है। इसी तरह, तुमसर और आसपास के आरोपी मुंडीकोटा में दिन बिताते हैं और रात में अपने घर आते हैं। हाल ही में चारगांव के चार आरोपियों को तड़ीपार किया गया, तो उन्होंने मुंडीकोटा में किराए का कमरा लिया और वही तरीका अपनाया दिन में वहां, रात को घर।

पुलिस की भूमिका पर सवाल

सीमा गांवों में यह गतिविधि पूरी तरह पुलिस की जानकारी में होती है। जब तड़ीपार आरोपी रात को अपने गांव आते हैं, तो उन्हें गिरफ्तार कर कार्रवाई करनी चाहिए, लेकिन हकीकत में ऐसा होता नहीं दिखता। कई बार तो स्थानीय पुलिस आरोपियों के साथ होती है या अप्रत्यक्ष रूप से उनका संरक्षण करती है, ऐसा आरोप नागरिकों ने लगाया है। इसके पीछे आर्थिक लेनदेन और भ्रष्टाचार की चर्चा भी है।

ये भी पढ़े: स्मार्ट मीटर नागरिकों के लिए सिरदर्द! बिना पूर्व सूचना के लगाए गए मीटर, बिजली बिल में बढ़ोतरी

सिर्फ औपचारिकता बनकर रह गई कार्रवाई

ऐसे मामलों से लगता है कि तड़ीपार कार्रवाई महज औपचारिकता बनकर रह गई है। अपराधियों को उनके गांव के बिल्कुल पास हद्दपार करने से वे अपना अपराधी नेटवर्क आसानी से चालू रखते हैं। इसलिए प्रशासन को तड़ीपार जिलों का चयन और सख्त मानकों के आधार पर करना चाहिए। सीमावर्ती जिलों को छोड़कर, उन्हें दूर के अन्य जिलों में तड़ीपार करना जरूरी है।

इस तरह जिलों का चयन होगा, तो आरोपी रात में गांव लौट नहीं पाएंगे और तड़ीपार कार्रवाई का असली उद्देश्य पूरा होगा। अभी तो कई आरोपी दिन के 12 घंटे तड़ीपार जिले में और बाकी 12 घंटे अपने गांव में बिताते हैं। नतीजतन, उनका “कामकाज” पहले जैसा ही चलता रहता है. दिन में तड़ीपार क्षेत्र में सिर्फ उनकी शारीरिक मौजूदगी रहती है, लेकिन अपराधी नेटवर्क पर कोई असर नहीं पड़ता।

Camp of criminals who have fled is in their homes residence in border villages home

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Published On: Aug 10, 2025 | 07:31 PM

Topics:  

  • Bhandara News
  • Crime
  • Criminal Incidents
  • Maharastra Police

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