प्रदर्शन करते एआईएसएफ के छात्र (सोर्स: सोशल मीडिया)
Bhandara ASIF Students Protest: भंडारा जिला पुलिस की एंटी नक्सल टीम द्वारा ऑल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन (AISF) को नक्सलवादी संगठन करार देने और एक छात्रा के परिवार से आधार कार्ड की मांग करने के विरोध में जिला मुख्यालय पर जोरदार प्रदर्शन हुआ। इस मौके पर बड़ी संख्या में छात्र-छात्राओं ने जिला अधिकारी कार्यालय के समक्ष नारेबाजी की और जन सुरक्षा विधेयक को रद्द करने सहित कई मांगें उठाईं।
आरोप है कि 8 सितंबर को पुलिस प्रशासन की ओर से बिना किसी अधिकृत आदेश के एक छात्रा के घर पुलिस पाटिल को भेजा गया और उसके परिजनों से कहा गया कि उनकी बेटी नक्सलवादी संगठन में काम कर रही है, इसलिए उसका आधार कार्ड मांगा जा रहा है। इस तरह के कदम से छात्रा और परिवार में भय का वातावरण बन गया।
इस घटना के बाद एआईएसएफ ने संबंधित अधिकारियों पर कार्रवाई और लिखित माफी की मांग की थी, लेकिन कार्रवाई न होने पर राज्य परिषद ने 16-17 सितंबर को राज्यव्यापी आंदोलन की घोषणा की थी। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि जन सुरक्षा विधेयक के नाम पर लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन किया जा रहा है।
संगठन ने प्रधानमंत्री की डिग्री प्रकरण का उदाहरण देते हुए कहा कि जब प्रधानमंत्री अपनी डिग्री नहीं दिखाते तो छात्रों से आधार कार्ड की मांग कर उन्हें नक्सलवादी ठहराना लोकतंत्र में अस्वीकार्य है।
संगठन ने मांग की कि जन सुरक्षा विधेयक तत्काल रद्द किया जाए, छात्रा और परिवार को धमकी देने वाले पुलिसकर्मी संदीप रहांगडाले व अन्य अधिकारियों पर कठोर कार्रवाई की जाए, जिला पुलिस संगठन से लिखित माफी मांगे और सभी पुलिसकर्मियों को छात्र संगठनों के बारे में समुचित प्रशिक्षण दिया जाए।
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आंदोलन के लिए अनुमति देने में पुलिस प्रशासन ने विलंब किया और आंदोलन रोकने की कोशिश की, पर बुधवार को अंततः अनुमति मिल गई। प्रदर्शन के दौरान राज्य अध्यक्ष वैभव चोपकर के नेतृत्व में बड़ी संख्या में कार्यकर्ता मौजूद रहे।
चोपकर ने कहा कि देश की आजादी की लड़ाई में भाग लेने वाले एकमात्र छात्र संगठन एआईएसएफ को नक्सलवादी कहना शहीद भगतसिंह के विचारों और स्वतंत्रता संग्राम का अपमान है, जिसे कभी सहन नहीं किया जाएगा।