धान खरीदी केंद्र (सोर्स: सोशल मीडिया)
Bhandara Farmers Problems: भंडारा जिले के लगभग 7 हजार किसान ऐसे हैं, जिन्होंने सितंबर 2024 में सरकारी धान खरीदी केंद्रों पर समर्थन मूल्य के आधार पर अपने धान बेचा था। इन किसानों की गाढ़े खून पसीने की कमाई आज तक नहीं मिली। पिछले वर्ष दिवाली के अवसर पर उन्हें उनका बकाया भुगतान नहीं मिला, जिससे उनकी खुशियों पर ग्रहण लग गया। अब एक साल बाद सितंबर 2025 में भी यही स्थिति बनी रही।
इस बार भी इन किसानों को पिछले साल के धान बिक्री के चुकारे नहीं मिले। कुल लंबित राशि लगभग 76 करोड़ रुपये बताई जा रही है।
इन 7 हजार किसानों में अधिकतर अल्प भूधारक हैं। उनके पास छोटी-सी जमीन है, जिस पर वे अपनी जीविका चलाते हैं और परिवार के लिए आवश्यक संसाधन जुटाते हैं।
पिछले साल बकाया भुगतान न मिलने के कारण दिवाली पर कई किसान अपने बच्चों के लिए नए कपड़े नहीं खरीद पाए। मिठाई और पकवान भी बनाने का सपना अधूरा रह गया। उन्होंने उम्मीद की थी कि इस साल बकाया राशि मिलने से वे अपने परिवार के साथ सुखद दिवाली मना पाएंगे, लेकिन उनकी उम्मीद फिर टूट गई। इस स्थिति ने किसानों में निराशा और गुस्सा पैदा कर दिया है।
किसानों का कहना है कि सरकार की ओर से बार-बार आश्वासन देने के बावजूद वास्तविक भुगतान नहीं किया जा रहा। छोटे किसान अपनी मेहनत की कमाई का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं, लेकिन लंबित भुगतान के कारण वे वित्तीय संकट में फंसे हुए हैं।
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उनका कहना है कि किसानों के लिए दिवाली केवल त्यौहार नहीं, बल्कि उनके परिवार के लिए खुशियों और आशाओं का प्रतीक है। इस बार भी उन्हें अपनी मेहनत का पूरा फल न मिलना दुखद और चिंता बढ़ाने वाला है।
12 अक्टूबर को जिले के पालक मंत्री डॉ. पंकज भोयर भंडारा आए। जिला नियोजन समिति की सभा के दौरान उनके सामने किसानों की इस समस्या को उठाया गया। उन्होंने इस मुद्दे पर संवेदना व्यक्त करते हुए प्रभारी जिला मार्केटिंग अधिकारी एसबी चंद्रे से एक पत्र लिखवाया और बकाया राशि के भुगतान के लिए कार्रवाई का आश्वासन दिया। हालांकि, अभी तक किसानों के मन में यह संदेह बना हुआ है कि दिवाली के पहले तक उन्हें अपनी मेहनत की कमाई मिल पाएगी या नहीं।
किसानों का कहना है कि यदि तत्काल कदम नहीं उठाए गए, तो छोटे और अल्प भूधारक किसान अपने परिवार के जीवन यापन और कृषि कार्यों के लिए संकट में पड़ सकते हैं। उन्होंने सरकार से आग्रह किया है कि जल्द से जल्द लंबित भुगतान जारी किया जाए, ताकि उनका विश्वास और उम्मीद बनी रहे।
किसानों की मेहनत और उनके धैर्य का सम्मान करना सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए। इस भुगतान में देरी न केवल किसानों की आर्थिक स्थिति पर असर डाल रही है, बल्कि उनकी सामाजिक और मानसिक स्थिति पर भी नकारात्मक प्रभाव डाल रही है।