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भंडारा. राज्य में शिक्षा संस्थानों और उनके परिसरों को तंबाकू मुक्त करने के लिए स्कूली शिक्षा विभाग पिछले कुछ वर्षों से तंबाकू मुक्त स्कूल अभियान चला रहा है.इस अभियान में सलाम मुंबई फाउंडेशन भी सहयोग कर रहा है. पिछले चार वर्षों की बात करें तो जिले के 414 स्कूलों ने इस अभियान ने अपने आपको तंबाकू मुक्त घोषित किया गया है. लेकिन क्या वाकई में यह स्कूल तंबाकू मुक्त हा गए है.बताया जा रहा है कि तंबाकू से मुक्ति सिर्फ कागजों पर नजर आती है. यह एक दुखद वास्तविकता है क्योंकि स्कूल परिसर में आज भी खर्रा,गुटखा और सिगरेट की दुकानें हैं. छात्र ही नहीं तो शिक्षक भी खर्रा का सेवन करते देखे जाते हैं.
राज्य सरकार ने पूरे राज्य से तंबाकू प्र पंतिबंध लगा दिया है. इतना ही नहीं तो शैक्षणिक संस्था और स्कूलों के परिसर को तंबाकू मुक्त घोषित करने का फैसला किया है. लेकिन शहर के अधिकांश स्कूलों के 100 गज के दायरे में तंबाकू उत्पादों की बिक्री धड़ल्ले से हो रही है. इससे हवा में स्मोक लाइन छोड़ने वालों की संख्या बढ़ रही है. यह तस्वीर आमतौर पर स्कूल और कॉलेजों में देखने को मिलती है. इसको लेकर अभिभावक नाराजगी जता रहे हैं. लेकिन अभिभावको की परेशानी वैसे ही बरकरार है.
वर्तमान में तंबाकू उत्पादों का सेवन बढ़ रहा है. तम्बाकू से होने वाली मौतों को रोकने के लिए केंद्र सरकार ने तम्बाकू के उपयोग को नियंत्रित करने के लिए सिगरेट और तम्बाकू नियंत्रण अधिनियम, 2013 बनाया. 2015 में राज्य सरकार ने स्कूल शिक्षा विभाग को इसी कानून को लागू करने के लिए अलग से आदेश जारी किया था. इस आदेश के मुताबिक परिसर में तंबाकू मुक्त माहौल बनाने की जिम्मेदारी स्कूलों को दी गई है. इस आदेश के साथ-साथ विश्व स्वास्थ्य संगठन के नियमों के अनुसार स्कूल परिसर में तम्बाकू उत्पाद मादक द्रव्यों के सेवन पर प्रतिबंध, सिगरेट के धूम्रपान पर प्रतिबंध, स्कूल परिसर में तंबाकू उत्पादों की बिक्री पर प्रतिबंध, तंबाकू सेवन के दुष्प्रभावों की जानकारी देने वाले बोर्ड लगाना अनिवार्य किया गया है.
शहर में जिला परिषद व निजी स्कूल परिसर का भ्रमण करने पर पता चलता है कि 100 गज के दायरे में बड़े पैमाने पर तंबाकू उत्पादों की बिक्री होती है. इतना ही नहीं, नशामुक्ति को लेकर न तो लोगों में जागरूकता है और न ही रोकथाम बोर्ड. स्कूल परिसर में तंबाकू, गुटखा की पुडिया पडी पाई जाती है. छात्रों को तंबाकू उत्पाद बेचने वाली दुकानों पर खुले आम घूमते देखा जा सकता है.
सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान वर्जित है. हालाँकि, चौकों, होटलों, पार्कों के बाहर स्थानों पर खुले में धूम्रपान किया जाता है. कुछ होटल व्यवसायियों के साथ-साथ सरकारी और अर्ध-सरकारी कार्यालयों ने भी धूम्रपान न करने के संकेत नहीं लगाए हैं. सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान करने वालों के खिलाफ पुलिस द्वारा निर्धारित राशि का चालान फाड़कर दंडात्मक कार्रवाई की जाती है. हालांकि, शहर में ऐसी कोई कार्रवाई नहीं की गई है.
तहसील के स्कूलों में चौंकाने वाली तस्वीर देखी जा सकती है कि स्कूल में कुछ छात्र तंबाकू, गुटखा और खर्रा का भी सेवन कर रहे हैं. प्रशासन का आदेश मिलने के कुछ दिन बाद ही कर्मचारियों ने इस आदेश को लागू भी कर दिया. हालांकि, स्कूल के कुछ कर्मचारियों को ही छात्रों के सामने ख्रर्रा मांगते हुए देखा जा सकता है.
एक तम्बाकू-मुक्त विद्यालय केवल यह घोषणा करने से तम्बाकू-मुक्त विद्यालय नहीं बन जाएगा कि वह एक तम्बाकू-मुक्त विद्यालय है, बल्कि इसके लिए बड़े पैमाने पर जन जागरूकता की आवश्यकता है. सरकार अक्सर आदेश जारी करती है लेकिन उसे लागू नहीं करती. इसके लिए जन जागरूकता की जरूरत है.
अप्रैल 2017 से मार्च 2018-72, अप्रैल 2018 से मार्च 2019-39, अप्रैल 2019 से मार्च 2020-53, अप्रैल 2020 से मार्च 2021-0, अप्रैल 2021 से मार्च 2022-45 विद्यालय। अप्रैल 2017 से मार्च 2022 तक चार साल की अवधि के दौरान कुल 414 स्कूल तंबाकू मुक्त हो गए हैं. इन चार सालों में 574 स्कूलों ने नोटिस बोर्ड भी लगा दिए हैं. हालांकि तंबाकू से मुक्त नहीं हूए है बल्कि एक संकेत मात्र है.






