संजय शिरसाट, संजय राउत व उद्धव ठाकरे (डिजाइन फोटो)
Sanjay Shirsat Attack Uddhav Thackeray: महाराष्ट्र के स्थानीय निकाय चुनावों में ‘महायुति’ ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की है। राज्य के मंत्री संजय शिरसाट ने शिवसेना (उबाठा) पर निशाना साधते हुए कहा कि मतदाताओं ने उन्हें उनके पिछले कृत्यों का सबक सिखा दिया है, लेकिन हार के बावजूद वे वास्तविकता स्वीकार करने को तैयार नहीं हैं।
महाराष्ट्र की 288 नगर परिषदों और नगर पंचायतों के चुनाव परिणामों ने राज्य की राजनीतिक दिशा स्पष्ट कर दी है। भाजपा, शिवसेना और एनसीपी के महायुति गठबंधन ने शानदार प्रदर्शन करते हुए स्थानीय निकायों के अध्यक्षों के 207 पदों पर कब्जा जमा लिया है।
राज्य निर्वाचन आयोग के आंकड़ों के अनुसार, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) 117 पदों के साथ सबसे बड़ी शक्ति बनकर उभरी है। वहीं, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने 53 और अजित पवार की राकांपा ने 37 पदों पर जीत दर्ज की है। इसके विपरीत, महा विकास अघाडी (एमवीए) गठबंधन को मतदाताओं ने सिरे से खारिज कर दिया है, जिसे कुल मिलाकर केवल 44 सीटें ही मिल सकी हैं।
शिवसेना नेता संजय शिरसाट ने विपक्ष की इस हार पर कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि लोग अब शिवसेना (उबाठा) को गंभीरता से नहीं लेते हैं और उनके लिए राजनीतिक वापसी का कोई रास्ता नहीं बचा है। उन्होंने उद्धव ठाकरे पर कटाक्ष करते हुए दावा किया कि अब शिवसेना (उबाठा) के वास्तविक “मुखिया” राज्यसभा सदस्य संजय राउत बन गए हैं।
संजय शिरसाट ने शिवसेना (उबाठा) और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के बीच गठबंधन की खबरों पर भी चुटकी ली। उन्होंने याद दिलाया कि जो लोग पहले राज ठाकरे के खिलाफ जहर उगलते थे, अब वही संजय राउत उनके घर जा रहे हैं। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि राज ठाकरे एक कद्दावर नेता हैं और वे राउत को गंभीरता से नहीं लेंगे।
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गठबंधन की नई रणनीति और भविष्य की योजना छत्रपति संभाजीनगर में आगामी निकाय चुनावों को लेकर शिरसाट ने स्पष्ट किया कि उनकी पार्टी जिले में अत्यंत मजबूत स्थिति में होने के बावजूद सीटों के बड़े हिस्से के लिए दबाव नहीं डाल रही है। उन्होंने जोर देकर कहा कि समान विचारधारा वाले दलों को एकजुट होकर गठबंधन बनाना चाहिए। शिरसाट ने स्वयं इसके लिए पहल की है और उन्हें उम्मीद है कि गठबंधन की सीटों के बंटवारे का अंतिम परिणाम जल्द ही सबके सामने होगा।
यह राजनीतिक परिणाम उस परीक्षा की तरह है जहाँ साल भर की मेहनत के बाद महायुति ने ‘मेरिट’ में स्थान बनाया है, जबकि विरोधियों को उनकी पुरानी गलतियों के कारण मतदाताओं ने ‘फेल’ कर दिया है।