मकई गेट (सौ. सोशल मीडिया )
Chhatrapati Sambhaji Nagar News In Hindi: पुरातत्व विभाग की निगरानी में गत दो महीनों से राज्य संरक्षित स्मारक के रूप में मान्यता प्राप्त मकई गेट की मरम्मत और नवीनीकरण का काम शुरू है।
विशेष बात यह है कि चारों तरफ से वह चुके मुगलकालीन ऐतिहासिक धरोहर मकई दरवाजे का स्वरूप बदलने के साथ ही प्राचीन शैली बरकरार रखी जा रही है। इस बीच, कछुआ गति से जारी गेट की मरम्मत में तेजी लाने की मांग निवासियों ने की है, ताकि आवाजाही सुगम हो सके।
31 बेगमपुरा किले के पास खाम नदी के किनारे शहर की दूसरी सुरक्षा दीवार पर स्थित इस दरवाजे की डहती दीवारों व गेट की मजबूती के लिए नदी में लोहे की गैलरी बनाई गई है। गुंबद की मरम्मत चूना मिश्रित सामग्री से की जा रही है। विशेष बात यह बात है कि इस पुरातन धरोहर का गिरा हुआ मलबा फेंका नहीं जा रहा, बल्कि पुनः उपयोग में लिया जा रहा है, ताकि, इसका असली रूप कायम रह सके। इस बीच, कार्य के लिए 31 अक्टूबर तक मकई गेट से टाउन हॉल रोड तक का मार्ग का यातायात बंद किया गया है। मकई गेट शहर के 52 दरवाजों में से एक है व भड़कल गेट के बाद आकार में दूसरा सबसे बड़ा यह दरवाजा माना जाता है।
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भवई गेह न सिर्फ रखा व्यवस्था का प्रतीक रहा बल्कि मुस्लिम समाज के लिए धार्मिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। इसका मुख पश्चिम की और वचित्र मक्चर की दिशा में है, इसलिए इसे मकई गैट कहा जाता है। उस दौर में इसी रास्ते से जायरीन यवित्र इन्त यात्रा के लिए जाते थे। मुख्य दरवाजे से जाने वाला मार्ग सीचं बीवी का मकबरा तक पहुंचाता है। यह आज भी न केवल शहर के युगलकालीन स्थापत्य वैभव की याद दिलाता है, बल्कि एकार की ऐतिहासिक पहचान का जीता-जागता प्रतीक है।