Mahayuti Alliance Breakup:छत्रपति संभाजीनगर महानगरपालिका चुनाव (सोर्सः सोशल मीडिया)
Chhatrapati Sambhajinagar Municipal Election: महानगरपालिका चुनाव को लेकर शहर की राजनीति में महायुति के भविष्य पर बड़ा और तीखा बयान सामने आया है। छत्रपति संभाजीनगर जिले के पालकमंत्री संजय शिरसाट ने महायुति के विघटन के लिए सीधे तौर पर भारतीय जनता पार्टी को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा कि भाजपा के हट्टधर्मी रवैये, मनमाने फैसलों और राजनीतिक अहंकार के कारण ही महायुति को बचाया नहीं जा सका और गठबंधन पूरी तरह टूट गया।
संजय शिरसाट ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि गठबंधन की राजनीति में सभी सहयोगी दलों को सम्मान देना और साथ लेकर चलना आवश्यक होता है, लेकिन भाजपा ने सहयोगी दलों की राय और भावनाओं की अनदेखी की। फैसले थोपने की नीति अपनाई गई, जिससे महायुति के भीतर लगातार असंतोष बढ़ता चला गया और यही असंतोष अंततः गठबंधन टूटने का कारण बना।
उन्होंने आरोप लगाया कि महायुति का उद्देश्य जनता के हितों के लिए मिलकर काम करना और चुनावों में सामूहिक मजबूती दिखाना था, लेकिन भाजपा नेतृत्व ने अपने राजनीतिक अहंकार के चलते सहयोगी दलों को बराबरी का स्थान नहीं दिया। संवाद और समन्वय की कमी के कारण गठबंधन कमजोर होता चला गया और संभाजीनगर में महायुति टूट गई।
शिरसाट ने यह भी कहा कि महायुति को लेकर शुरू से ही जमीनी स्तर पर तालमेल की कमी दिखाई दे रही थी। कार्यकर्ताओं में भ्रम और नाराजगी का माहौल था, लेकिन समय रहते इन मुद्दों को सुलझाने के बजाय भाजपा ने उन्हें नजरअंदाज किया, जिसका खामियाजा पूरे गठबंधन को भुगतना पड़ा। उन्होंने बताया कि महायुति को बनाए रखने के लिए राज्य स्तर पर भी प्रयास किए गए। मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री ने खुद मनपा चुनाव के लिए माहौल बनाने की कोशिश की, लेकिन स्थानीय स्तर पर भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं की भूमिका अलग दिखाई दी।
शिंदे गुट की शिवसेना से गठबंधन टूटने पर भाजपा के शहर अध्यक्ष किशोर शितोले ने कहा कि शिवसेना के साथ गठबंधन को लेकर लंबी चर्चा हुई, लेकिन उनकी ओर से बार-बार बदलती मांगों के कारण सहमति नहीं बन सकी। उन्होंने कहा कि कई बैठकों के बावजूद शिवसेना किसी एक सीट सूची पर स्थिर नहीं रही। शितोले के अनुसार, हाल की संयुक्त बैठक में जिन सीटों पर सहमति बनी थी, उन्हीं के आधार पर भाजपा ने लिखित प्रस्ताव सौंपा और उसमें बदलाव न करने का अनुरोध किया था।
जालना में मनपा चुनाव को लेकर भाजपा और शिंदे गुट की शिवसेना के बीच गठबंधन पर चल रही मैराथन बैठकों का दौर आखिरकार समाप्त हो गया। सीट बंटवारे को लेकर बनी सहमति अंतिम समय में विवाद में बदल गई, जिसके बाद गठबंधन टूटने का औपचारिक ऐलान करना पड़ा। भाजपा ने युति टूटने के लिए शिंदे गुट के अड़ियल रवैये को जिम्मेदार ठहराया है।
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शहर में अब वर्चस्व की जंग तेज हो गई है। भाजपा कार्यकर्ताओं में उत्साह है और उनका मानना है कि पहली राजनीतिक लड़ाई वे जीत चुके हैं। 65 सदस्यीय मनपा में भाजपा को 35 और शिंदे गुट को 30 सीटें देने पर सहमति लगभग तय मानी जा रही थी, लेकिन कुछ वार्डों में मौजूदा भाजपा नगरसेवकों की जगह शिंदे गुट के उम्मीदवारों को टिकट देने की मांग पर विवाद खड़ा हो गया।
इस मुद्दे पर हाल ही में कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए पूर्व विधायक कैलाश गोरंट्याल ने कड़ा रुख अपनाते हुए युति टूटने की घोषणा की और कहा कि भाजपा शहर की सभी 65 सीटों पर अपने दम पर चुनाव लड़ेगी। उन्होंने दावा किया कि भाजपा 45 सीटें जीतने की क्षमता रखती है और विवाद उन्हीं वार्डों में हुआ, जहां पूर्व कांग्रेसी और वर्तमान भाजपा के प्रभावशाली नगरसेवकों का दबदबा है।