लापरवाही भरी घोषणाओं से पड़ा वित्तीय बोझ। (सौजन्यः सोशल मीडिया)
छत्रपति संभाजीनगर: विधान परिषद में विपक्ष के नेता अंबादास दानवे ने बृहस्पतिवार को दावा किया कि महायुति सरकार की 100 दिनों की उपलब्धियों में लापरवाही भरी घोषणाओं के कारण राज्य पर पड़ा वित्तीय बोझ और किसानों की आत्महत्याओं में वृद्धि हुई है।
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस द्वारा अपनी सरकार का 100 दिन का रिपोर्ट कार्ड सोशल मीडिया पर साझा करने के बाद शिवसेना (उबठा) नेता ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी यानी राकांपा अजित पवार गुट के सत्तारूढ़ गठबंधन पर निशाना साधा।
पिछले वर्ष दिसंबर में विधानसभा चुनावों में महायुति की प्रभावशाली जीत के बाद मुख्यमंत्री के रूप में कार्यभार संभालने के बाद फडणवीस ने प्रत्येक विभाग के लिए 100 दिन का कार्यक्रम तय किया था, जिसमें महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किए गए थे।
१०० दिवसांत महायुतीची महाराष्ट्राला देणगी..
१. बेफाम घोषणांचा आर्थिक बोजा..
२. मराठवाड्यात गतवर्षीच्या तुलनेत अधिकच्या ६५ शेतकरी आत्महत्या..
३. आका.. बडा आका.. बोक्या.. खोक्या.. हे नवीन शब्द!
४. राज्याच्या विद्यार्थी-शेतकरी कल्याणकारी योजनांच्या निधीत बेसुमार कपात..
५. वाचाळ… https://t.co/X19jGbP9fZ— Ambadas Danve (@iambadasdanve) May 1, 2025
बता दें कि CM फडणवीस ने जानकारी देते हुए सोशल मीडिया साइट‘एक्स’ पर कहा कि 48 विभागों में से 12 ने पूर्ण 100 अंक प्राप्त किए हैं, तथा 18 अन्य ने निर्धारित अवधि में अपने 80 प्रतिशत से अधिक लक्ष्य हासिल कर लिए हैं। दानवे ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट कर सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने दावा किया कि सरकार की “लापरवाह” घोषणाओं ने राज्य पर वित्तीय बोझ बढ़ा दिया है, वहीं किसानों द्वारा आत्महत्या करने की घटनाओं में “पिछले साल की तुलना में इस साल 65 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।”
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दानवे ने बताया कि ये पिछले 100 दिनों में नई सरकार की ‘यह’ उपलब्धियां हैं। उन्होंने दावा किया कि नई सरकार के कार्यभार संभालने के बाद महाराष्ट्र को “आका, बड़ा आका” जो बीड के सरपंच संतोष देशमुख की हत्या के बाद अधिक प्रचलित हो गए, “बोक्या, खोक्या” जैसे नए शब्द मिले हैं। दानवे के अनुसार, राज्य में विद्यार्थी और किसान कल्याण योजनाओं के लिए धनराशि में भारी कटौती की गई है। उन्होंने दावा किया कि महाराष्ट्र को बड़बोले मंत्री भी मिले और इन 100 दिनों में किसानों को कर्जमाफी के मामले में धोखा दिया गया।