बच्चू कडू के आंदोलन में प्रहार कार्यकर्ता ने निगला ज़हर। (सौजन्यः सोशल मीडिया)
अमरावती: जब एक नेता ज़मीन से जुड़ा होता है, तो उसका दर्द सिर्फ भाषणों तक सीमित नहीं रहता, वह भूख की भाषा में बोलता है। प्रहार जनशक्ति पार्टी के संस्थापक और विधायक बच्चू कडू ने किसानों, दिव्यांगों, विधवाओं और समाज के उपेक्षित वर्गों के लिए 8 जून से अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू की है। लेकिन सरकार की चुप्पी अब आंदोलन को खतरनाक मोड़ पर ले आई है।
शुक्रवार को इस आंदोलन से जुड़ा एक युवा वरिष्ठ कार्यकर्ता अजय चौधरी ने कथित रूप से ज़हर पी लिया, जिससे पूरे महाराष्ट्र में हड़कंप मच गया है। अजय भागवतराव चौधरी (उम्र 35), प्रहार पार्टी के वरूड तालुका प्रमुख हैं। शुक्रवार को उन्होंने आंदोलन की अनदेखी से क्षुब्ध होकर ज़हर का सेवन कर लिया। उनकी हालत गंभीर है और उन्हें एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहां इलाज चल रहा है। कार्यकर्ताओं ने इसे सरकार की संवेदनहीनता का परिणाम बताया है।
आज मोझरी येथे दिव्यांग बांधवांचा आवाज रुग्णसेवक श्री @RealBacchuKadu भाऊ साहेब यांची राज्याचे संवेदनशील उपमुख्यमंत्री एकनाथजी शिंदे साहेब यांच्या आदेशानुसार भेट घेतली. #mangeshchivate #bachhukadu pic.twitter.com/Pf98njeHTB
— MangeshChivate (@ChivateMangesh) June 13, 2025
यह आंदोलन छठे दिन में प्रवेश कर चुका है और बच्चू कडू की शारीरिक स्थिति लगातार बिगड़ रही है। शुक्रवार सुबह उन्हें उल्टियां हुईं, कमजोरी महसूस हुई, लेकिन उन्होंने डॉक्टरों द्वारा सुझाए गए इलाज और सलाईन लेने से इनकार कर दिया। डॉक्टरों ने कहा कि लंबे समय से अन्न न लेने के कारण किडनी और अन्य अंगों पर असर पड़ रहा है। कडू ने साफ कर दिया है “जब तक सरकार हमारी मांगे पूरी नहीं करती, तब तक मैं न दवा लूंगा, न इलाज करूंगा।”
जगह-जगह चक्काजाम, जलसमाधि, बच्चू कडू का अन्नत्याग आंदोलन जारी, राजू शेट्टी ने दी भेंट
इस आंदोलन को राज्यभर से जबरदस्त समर्थन मिल रहा है। मराठा आरक्षण आंदोलन के नेता मनोज जरांगे, पूर्व सांसद राजू शेट्टी, और सांसद महादेव जानकर ने बच्चू कडू के आंदोलन को समर्थन दिया है। राजू शेट्टी ने चेतावनी दी है कि अगर सरकार ने 14 जून तक सकारात्मक निर्णय नहीं लिया, तो राज्यव्यापी चक्का जाम आंदोलन शुरू किया जाएगा।
सरकार की ओर से मंत्री पंकजा मुंडे, भरत गोगावले और जयकुमार गोरे ने ऑनलाइन बैठक की, लेकिन उसमें कोई ठोस आश्वासन नहीं दिया गया। आंदोलनस्थल पर स्वास्थ्य जांच की टीम तैनात है, लेकिन बच्चू कडू ने किसी भी तरह के उपचार से साफ इनकार कर दिया है।
बच्चू कडू की यह लड़ाई केवल राजनीतिक नहीं, बल्कि समाज के दबे-कुचले वर्गों की आवाज बन चुकी है। जब एक कार्यकर्ता ज़हर पीता है और नेता अन्न से हाथ खींच लेता है तो यह सरकार के लिए चेतावनी है, कि अब ‘मौन’ नहीं, उत्तरदायित्व की घड़ी है।