(प्रतीकात्मक तस्वीर)
Amravati News In Hindi: महाराष्ट्र ने पारंपरिक कोयला, प्राकृतिक गैस और तेल आधारित बिजली के बजाय सौर ऊर्जा को अधिक प्राथमिकता देकर ऊर्जा परिवर्तन में देश में अग्रणी स्थान प्राप्त किया है। इसके परिणामस्वरूप, महाराष्ट्र के बिजली क्षेत्र में पुरी तरह बदलाव देखने को मिल रहे हैं। भारतीय विदेश सेवा के अधिकारियों ने कहा कि इस ऊर्जा परिवर्तन के लिए महाराष्ट्र देश के बिजली क्षेत्र में एक रोल मॉडल है।
भारतीय विदेश सेवा के वरिष्ठ अधिकारियों ने महाराष्ट्र में बिजली क्षेत्र और विभिन्न सौर ऊर्जा योजनाओं की जानकारी प्राप्त करने के लिए मुंबई स्थित महावितरण और महानिमरत के संयुक्त कार्यालय का दौरा किया। इनमें योजना पटेल (न्यूयॉर्क), प्रतिभा पारकर राजाराम, परमिता त्रिपाठी, अंकन बनर्जी, सी। सुगंधा राजाराम के साथ-साथ विश्वदीप डे (तंजानिया), स्मिता पंत (ताशकंद) शामिल थे। इस अवसर पर महावितरण के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक श्री लोकेश चंद्रा, महावीरमती के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक राधाकृष्णन बी उपस्थित थे।
महावितरण के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक लोकेश चंद्रा ने कहा कि मुख्यमंत्री एवं ऊर्जा मंत्री देवेंद्र फडणवीस के मार्गदर्शन में ऊर्जा विभाग ने राज्य में बिजली की बढ़ती मांग और आपूर्ति की योजना बनाने के लिए संसाधन पर्याप्तता योजना तैयार की है। इसके अनुसार, 2030 तक 38 हजार मेगावाट हरित ऊर्जा और 45 हजार मेगावाट बिजली उत्पादन जोड़ा जाएगा। राज्य में अक्षय ऊर्जा क्षमता 13 प्रतिशत से बढ़कर 52 प्रतिशत हो जाएगी। इसमें लगभग 3 लाख 30 हजार करोड़ रुपये का निवेश होगा और लगभग 7 लाख रोजगार सृजित होंगे। इसके साथ ही, अगले पांच वर्षों में बिजली खरीद में 82 हजार करोड़ रुपये की बचत होगी। इससे अगले पांच वर्षों में सभी श्रेणियों में बिजली की दरों में कमी आएगी। साथ ही, हरित ऊर्जा को प्राथमिकता देने से कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) उत्सर्जन को कम करने के लक्ष्य को बल मिलेगा।
लोकेश चंद्र ने बताया कि, मुख्यमंत्री सौर कृषि योजना 2.0 के अंतर्गत, कृषि पंपों को दिन में बिजली आपूर्ति हेतु विकेंद्रीकृत सौर ऊर्जा परियोजनाओं के माध्यम से वर्ष 2026 तक 16 हजार मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जाएगा। यह विश्व की सबसे बड़ी विकेंद्रीकृत सौर ऊर्जा उत्पादन योजना है। इस योजना के कारण राज्य में 65 हजार करोड़ रुपये का निवेश हो रहा है और ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग 70 हजार रोजगार के अवसर उपलब्ध हो रहे हैं।
इस योजना के कारण, महाराष्ट्र के 45 लाख कृषि पंपों को, जो देश में सर्वाधिक है, दिन में और स्थायी रूप से बिजली आपूर्ति की जाएगी। अब तक क्रियान्वित 1972 मेगावाट क्षमता वाली सौर ऊर्जा परियोजनाओं से 369 सबस्टेशनों के माध्यम से किसानों को दिन में बिजली आपूर्ति की जा रही है। इसके साथ ही, क्रॉस सब्सिडी का बोझ कम हुआ है और औद्योगिक एवं वाणिज्यिक बिजली की कीमतें कम होने लगी हैं, ऐसा लोकेश चंद्र ने बताया।
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बैठक में महावितरण के निदेशक सचिन तालेवार (संचालन/परियोजना), योगेश गडकरी (वाणिज्य), महापारेषण निदेशक सतीश चव्हाण (संचालन), महानिमिति निदेशक अभय हरणे (परियोजना) के साथ-साथ कार्यकारी निदेशक दिनेश अग्रवाल, किशोर पाटिल, विशेष कार्य अधिकारी मंगेश कोहाट और संतोष सांगले उपस्थित थे।