
अमरावती में 8 फीसदी नल कनेक्शन अनधिकृत (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Maharashtra Water Department: महाराष्ट्र जीवन प्राधिकरण (मजीप्रा) के माध्यम से शहरवासियों को जलापूर्ति की जाती है, लेकिन इस व्यवस्था में गंभीर अनियमितताएं और भारी राजस्व घाटा सामने आया है। शहर में महाराष्ट्र जीवन प्राधिकरण के लगभग 1 लाख 4 हज़ार ग्राहक हैं, जिनमें से करीब 7 से 8 प्रतिशत नल कनेक्शन अनधिकृत होने का अनुमान है। इन अनधिकृत कनेक्शनों के कारण मनपा और मजीप्रा को लाखों रुपये के राजस्व का नुकसान हो रहा है।
मजीप्रा वर्तमान में लगभग 1.04 लाख घरेलू और व्यावसायिक उपभोक्ताओं को पानी की आपूर्ति करता है। हालांकि, इन ग्राहकों से भुगतान की वसूली बहुत कम है। अधिकारियों के अनुसार, उपभोक्ताओं पर करीब 450 करोड़ रुपये का बकाया है। वहीं, विभिन्न सरकारी कार्यालयों पर भी लगभग 10 करोड़ रुपये की बकाया राशि है।
शहर के कई हिस्सों में नागरिकों द्वारा पाइपलाइन तोड़कर सीधे नल कनेक्शन लेने के मामले सामने आए हैं। आश्चर्य की बात यह है कि ऐसे अनधिकृत कनेक्शन झुग्गी बस्तियों से अधिक पॉश इलाकों में पाए जा रहे हैं। इससे न केवल पानी की बर्बादी होती है बल्कि दबाव कम पड़ने और गंदे पानी की आपूर्ति का भी खतरा बढ़ जाता है। कई जगहों पर लोग टिल्लू पंप लगाकर अतिरिक्त पानी खींच रहे हैं, जिससे जलापूर्ति व्यवस्था पर भारी दबाव पड़ रहा है।
शहर में मोर्शी के सिंभोरा बांध से बड़ी पाइपलाइन के माध्यम से जलापूर्ति की जाती है। लेकिन, दशकों पुरानी पाइपलाइनों के कारण जगह-जगह रिसाव और दूषित पानी की शिकायतें बढ़ गई हैं। इस संबंध में मजीप्रा अधिकारियों का कहना है कि नई पाइपलाइन योजना पर युद्धस्तर पर काम जारी है।
मजीप्रा की टीम लगातार अनधिकृत नल कनेक्शनों की जांच कर रही है। संबंधित उपभोक्ताओं को नोटिस जारी कर दंडात्मक कार्रवाई की जाती है या उन्हें कनेक्शन अधिकृत करने का निर्देश दिया जाता है। इसके बावजूद ऐसे कनेक्शन की संख्या में कमी नहीं आई है। अधिकारियों का अनुमान है कि शहर में कुल नल कनेक्शनों में से लगभग 8 प्रतिशत अब भी अनधिकृत हैं।
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शहर के कई हिस्सों में जलदाब कम है और दूषित पानी की शिकायतें लगातार मिल रही हैं। वर्षों से पाइपलाइनें नहीं बदली गई हैं, और कुछ जगहों पर पाइप सीवेज व नालियों से होकर गुजरते हैं, जिससे स्वच्छ पानी की आपूर्ति प्रभावित हो रही है।
मजीप्रा के अमरावती उपविभागीय अभियंता संजय लेवरकर ने कहा कि “शहर में मजीप्रा के माध्यम से 1.04 लाख उपभोक्ताओं को जलापूर्ति की जाती है। उपभोक्ताओं पर कुल 450 करोड़ रुपये का बकाया है। हमारी टीमें अनधिकृत कनेक्शनों के खिलाफ कार्रवाई कर रही हैं। नागरिकों को समय पर बिल भरकर और अधिकृत कनेक्शन लेकर सहयोग करना चाहिए।”
सूत्रों के अनुसार, अनधिकृत कनेक्शनों, बंद मीटरों और बकाया राशि की वसूली न होने के कारण मजीप्रा योजना को लगभग 4 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है। इसका असर नियमित बिल चुकाने वाले नागरिकों पर पड़ रहा है, जबकि जलदाय विभाग को राजस्व घाटे की भरपाई के लिए नए उपाय करने पड़ रहे हैं।






