
नेवासा तालुका के राजनीतिक समीकरणों में बदलाव की संभावना (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Ahilyanagar News: स्थानीय स्वराज संस्थाओं के चुनाव की पृष्ठभूमि पर भाजपा के पूर्व विधायक बालासाहेब मुरकुटे के राष्ट्रवादी कांग्रेस (अजित पवार गट) में प्रवेश करने से नेवासा तालुके की राजनीति में नया मोड़ आ गया है। मूलतः कांग्रेस की राजनीति से जुड़े रहे मुरकुटे ने 2014 के विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा में प्रवेश किया था और वहीं से उम्मीदवार बने थे। उन्होंने तालुके के सशक्त नेता शंकरराव गडाख को चौंकाने वाली हार दी थी।
मगर 2019 के विधानसभा चुनाव में गडाख ने 25 हजार मतों के अंतर से मुरकुटे को पराजित कर बदला लिया। 2024 के चुनाव में पार्टी ने मुरकुटे को टिकट नहीं दिया, जिससे नाराज़ होकर उन्होंने बगावत की और प्रहार जनशक्ति पार्टी से चुनाव लड़ा। लेकिन शिवसेना के उम्मीदवार विठ्ठलराव लंघे ने पूर्व मंत्री गडाख और मुरकुटे दोनों को पराजित किया।
भाजपा में “डाल नहीं गलने” के कारण जब उन्होंने घटकपक्ष के पास बगावत की, तब भाजपा ने उन्हें पार्टी से निलंबित कर दिया।
बाद में यह चर्चा थी कि उन्हें फिर से पार्टी में शामिल किया गया है, और कुछ कार्यक्रमों में वे भाजपा के मंच पर भी दिखाई दिए। हालांकि तालुके में बदलते राजनीतिक समीकरणों के बीच मुरकुटे भाजपा में ज्यादा सक्रिय नहीं हुए।
वर्तमान विधायक विठ्ठलराव लंघे तकनीकी रूप से शिवसेना से हैं, लेकिन पहले वे भाजपा के जिलाध्यक्ष रह चुके हैं। भाजपा और शिवसेना दोनों ही दलों पर उनकी मजबूत पकड़ है। ऐसे में महत्वाकांक्षी मुरकुटे को यह समझ आ गया कि भाजपा में उनकी “डाल नहीं गलेगी”, इसलिए उन्होंने महायुती के घटक दल को नजदीक किया।
राज्य में भाजपा, शिवसेना और राष्ट्रवादी इन तीनों का महायुती गठबंधन सत्ता में है। मुरकुटे भले ही भाजपा-शिवसेना के साथ नहीं जाना चाहते, लेकिन उन्हें सत्ता से जुड़े राजनीतिक फायदे चाहिए। इसलिए उन्होंने महायुती के घटक दल राष्ट्रवादी कांग्रेस (अजित पवार गट) का चयन किया है, ऐसी चर्चा है। हालांकि आगामी चुनाव को देखते हुए यह कदम भाजपा और शिवसेना के लिए सिरदर्द साबित हो सकता है।
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पूर्व विधायक मुरकुटे के इस निर्णय का उनके समर्थकों ने पटाखे फोड़कर स्वागत किया। रात में मुरकुटे ने नेवासा में बाबा कांगुणे, प्रतीक शेजूळ, किरण दारुंटे, नितिन कडू, गोकुळ डौले आदि समर्थकों के साथ खोलेश्वर गणपति मंदिर में दर्शन लिया। इसके बाद नेवासा फाटा स्थित राजमुद्रा चौक से लेकर डॉ. आंबेडकर चौक तक समर्थकों ने शोभायात्रा निकाली। भेंडे, कुकाणे और देवगांव में भी जुलूस निकाले गए।






