मंत्री माणिकराव कोकाटे (सौजन्य-सोशल मीडिया)
अहिल्यानगर: राज्य के कृषि मंत्री माणिकराव कोकाटे अपनी बेबाक बयानबाजी के कारण अक्सर मुश्किलों में घिर जाते हैं। कृषि मंत्री ने रविवार को शिर्डी में एक बार फिर से कुछ ऐसा बयान दे दिया जिससे महायुति सरकार को सफाई देनी पड़ सकती है। कोकाटे ने एक तरह से सरकार की विफलता स्वीकार करते हुए कहा कि कृषि घाटे का सौदा बन गई है और सरकार के तौर पर हम ऐसी व्यवस्था बनाने में नाकाम रहे हैं, जिससे किसानों को शाश्वत उत्पादों का उचित दाम मिल सके।
मंत्री कोकाटे ने कहा कि कृषि पर निर्भर रहनेवाला वर्ग अब कम होता जा रहा है क्योंकि कृषि का खर्च वहन करना अब मुश्किल होने लगा है। मंत्री कोकाटे का यह बयान अपनी सरकार को आईना दिखाने जैसा है। उन्होंने कहा कि बिक्री व्यवस्था को मजबूत किए बिना उत्पाद को महत्व नहीं मिलेगा। कम लागत में अच्छा उत्पादन और बिक्री व्यवस्था को मूल्य शृंखला के जरिए एक दूसरे से जोड़ने पर ही भविष्य उज्ज्वल हो सकता है।
इस दौरान कोकाटे ने गुजरात को लेकर कुछ ऐसा कह दिया, जो विपक्षी गठबंधन महाविकास आघाडी के लिए मुद्दा बन सकता है। कोकाटे ने कहा कि दूध क्षेत्र का जिक्र करते हुए कहा कि राज्य में किसान दूध सहकारी समितियां स्थापित करने के लिए तैयार नहीं हैं, दूध उत्पादकों को निजी स्रोतों से अधिक पैसा मिलता है। इसमें गुजरात राज्य का अतिक्रमण बहुत ज्यादा बढ़ गया है। गुजरात में सहकारी व्यवसाय तेजी से बढ़ रहा है, जबकि महाराष्ट्र में हम बहुत पीछे हैं।
राज्य के कृषि मंत्री माणिकराव कोकाटे ने कहा कि कर्जमाफी का अधिकार मुख्यमंत्री के पास है और उनका निर्णय जल्द ही लागू किया जाएगा। किसानों को अपने कर्ज चुकाने ही चाहिए, लेकिन कर्जमाफी से संबंधित अंतिम निर्णय मुख्यमंत्री ही लेंगे। इसके साथ ही उन्होंने बोगस बीज और कीटनाशकों को लेकर कहा कि जिन कृषि सेवा केंद्रों के खिलाफ शिकायत मिलेगी, उनके खिलाफ तुरंत कार्रवाई की जाएगी। अगर मेरे पास शिकायत आती है तो मैं तुरंत कार्रवाई करूंगा।
कृषि मंत्री ने यह भी कहा कि सरकार को कृषि क्षेत्र में पूंजी निवेश करना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह मेरी दृढ़ मान्यता है कि सरकार अगले पांच वर्षों में 25,000 करोड़ रुपये पूंजी निवेश पर खर्च करेगी। जैसे विदेशों में किसानों को न्याय मिलता है, वैसे ही भारत के किसानों को भी मिलना चाहिए। सरकारी निवेश से किसानों को सीधा लाभ होगा।