कॉन्सेप्ट फोटो (सोर्स-सोशल मीडिया)
भोपाल: मध्यप्रदेश में जिलों और संभागों की सीमाओं के पुनर्निर्धारण के साथ ही पांढुर्णा जिले का विस्तार एक अहम मुद्दा बन गया है। हाल ही में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव द्वारा की गई इस बड़ी घोषणा के बाद प्रदेश के प्रशासनिक ढांचे में संभावित बदलाव की अटकलें तेज हो गई हैं। सीमाओं में विसंगतियों को दूर करने के उद्देश्य से सरकार ने परिसीमन आयोग का गठन किया है। जो इन सीमाओं का नए सिरे से परीक्षण करेगा।
वर्तमान में मुलताई तहसील बैतूल जिले में आती है, लेकिन भौगोलिक दृष्टि से मुलताई की पांढुर्णा से निकटता और व्यापारिक संबंध इस क्षेत्रीय बदलाव की संभावनाओं को बल दे रहे हैं। बैतूल जिले से 59 किमी दूर स्थित मुलताई, पांढुर्णा से मात्र 40 किमी दूर है। इस कम दूरी से मुलताई वासियों के लिए पांढुर्णा पहुंचना आसान हो गया है। चूंकि पांढुर्णा का व्यापार भी मुलताई से जुड़ा हुआ है, इसलिए यह फैसला वहां के लोगों के लिए फायदेमंद हो सकता है।
यह भी पढ़ें:- बुलेट से ‘पटाखेबाजी’ करने वालों को नागपुर पुलिस ने दिया फटका, काट दिए 80 हजार के चालान
मुख्यमंत्री द्वारा परिसीमन आयोग के गठन की घोषणा के बाद कयास लगाए जा रहे हैं कि मुलताई को पांढुर्णा जिले में शामिल किया जा सकता है। इससे न केवल पांढुर्ना जिले का क्षेत्रफल बढ़ेगा, बल्कि प्रशासनिक कामकाज भी बेहतर होगा। पांढुर्ना और मुलताई के बीच व्यापारिक, सामाजिक और भौगोलिक संबंधों को देखते हुए यह कदम तार्किक और व्यावहारिक लगता है।
सूत्रों की मानें तो इस नए परिसीमन से मुलताई को पांढुर्णा जिले में शामिल किया जा सकता है। अगर यह फैसला लागू होता है तो मुलताई वासियों को और अधिक सुचारू प्रशासनिक सेवाएं और सुविधाएं मिल सकेंगी। सीएम के इस फैसले से पांढुर्ना और मुलताई वासियों में उम्मीद की लहर दौड़ गई है।
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा कि राज्य सरकार ने राज्य में जिलों और संभागों की सीमाओं और संख्या की समीक्षा के लिए एक नया परिसीमन आयोग गठित किया है। यादव ने कहा कि मध्य प्रदेश क्षेत्रफल की दृष्टि से देश का दूसरा सबसे बड़ा राज्य है। परिसीमन आयोग के आधार पर राज्य के जिलों का नए सिरे से सीमांकन किया जाएगा।
यह भी पढ़ें:- मुंब्रा कलवा विधानसभा सीट: जितेन्द्र अव्हाण लगाएंगे जीत का चौका या फिर इस बार कोई और बनाएगा मौका?
सीएम मोहन यादव ने कहा था कि जिले तो बढ़े हैं, लेकिन उनमें कई विसंगतियां हैं। कुछ लोगों को जिला या संभाग मुख्यालय तक पहुंचने के लिए लंबी दूरी तय करनी पड़ती है। हमने ऐसी विसंगतियों को दूर करने के लिए एक नया परिसीमन आयोग गठित किया है।