मध्य प्रदेश की राजनीति में गोमांस को लेकर एक नया भूचाल
MP BJP vs Congress Beef Controversy: मध्य प्रदेश की राजनीति में गोमांस को लेकर एक नया भूचाल आ गया है। राज्य सरकार द्वारा कथित तौर पर गोमांस को जीएसटी मुक्त करने के एक गजट नोटिफिकेशन ने सियासी गलियारों में हलचल मचा दी है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने इस फैसले पर गंभीर सवाल उठाते हुए सरकार पर गोमांस के निर्यात को बढ़ावा देने का सनसनीखेज आरोप लगाया है। उन्होंने इसे मुख्यमंत्री मोहन यादव की गोभक्ति पर सीधा हमला करार दिया है और इस मुद्दे को लेकर प्रदेशव्यापी आंदोलन की घोषणा कर दी है, जिससे यह मामला अब सड़क पर आ सकता है।
यह विवाद तब शुरू हुआ जब मध्य प्रदेश के वाणिज्यिक कर विभाग ने 18 सितंबर को जीएसटी दरों में कटौती को लेकर एक गजट नोटिफिकेशन जारी किया। जीतू पटवारी ने दावा किया कि इसी नोटिफिकेशन में गोवंशीय पशुओं के मांस को जीएसटी मुक्त कर दिया गया है। उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर पूछा कि जो मुख्यमंत्री खुद को गोभक्त बताते हैं, उनके राज में ऐसा फैसला कैसे लिया जा सकता है? पटवारी ने आरोप लगाया कि यह फैसला दुनिया भर में गोमांस के निर्यात को और बढ़ावा देने के लिए किया गया है, जो भाजपा की कथनी और करनी में अंतर को उजागर करता है।
कांग्रेस के आरोपों के बाद भारतीय जनता पार्टी ने भी तीखी प्रतिक्रिया दी है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल ने कहा कि उन्होंने जीएसटी की सूची कई बार पढ़ी है, लेकिन उन्हें ऐसा कुछ भी समझ नहीं आया। वहीं, भाजपा विधायक रामेश्वर शर्मा ने कांग्रेस पर हमला बोलते हुए कहा कि “कांग्रेस का हाथ गो तस्करों के साथ है।” उन्होंने जीतू पटवारी को याद दिलाया कि भाजपा सरकार ने 2004 में ही गोकशी रोकने के लिए कानून बना दिया था। शर्मा ने पलटवार करते हुए कहा कि कमलनाथ सरकार के समय कांग्रेस गो तस्करों के पक्ष में कानून ला रही थी, इसलिए उन्हें गोकशी पर ज्ञान नहीं देना चाहिए।
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इस मुद्दे पर कांग्रेस अब सरकार को घेरने की पूरी तैयारी में है। जीतू पटवारी ने ऐलान किया है कि कांग्रेस पार्टी किसी भी कीमत पर गाय को कटने नहीं देगी। इस फैसले के विरोध में 26 और 27 सितंबर को पूरे मध्य प्रदेश में एक बड़ा आंदोलन किया जाएगा। इस आंदोलन के तहत कांग्रेस कार्यकर्ता गोशालाओं का दौरा करेंगे और सड़कों पर घूम रही गायों को घेरकर कलेक्टर ऑफिस तक ले जाएंगे। पटवारी ने यह भी मांग की है कि अगर गोमांस पर जीएसटी शून्य किया गया है, तो पिछले आठ सालों में वसूली गई पूरी जीएसटी राशि वापस की जानी चाहिए।