
मध्य प्रदेश यूथ कांग्रेस का चुनाव भयंकर विवादों में घिरा (फोटो- सोशल मीडिया)
MP Youth Congress Internal Election Controversy: मध्य प्रदेश यूथ कांग्रेस का चुनाव भयंकर विवादों में घिर गया है। हालत यह है कि खुद कांग्रेस के नेता ही चुनाव प्रक्रिया में गड़बड़ी और ‘वोट चोरी’ के आरोप लगा रहे हैं। जबलपुर से विधायक लखन घनघोरिया के बेटे यश घनघोरिया को सबसे ज्यादा वोट मिले हैं। इसी बीच, भाजपा ने राहुल गांधी को उन्हीं की भाषा में जवाब दिया है। मंत्री विश्वास सारंग ने तंज कसा है कि कांग्रेस ने खुद अपने यूथ चुनाव में वोट चोरी की है।
6 नवंबर को वोटों की गिनती तो हो गई, जिसमें यश घनघोरिया को 3.13 लाख और भोपाल के अभिषेक परमार को 2.38 लाख वोट मिले। 9 नवंबर को टॉप तीन उम्मीदवारों के दिल्ली में इंटरव्यू भी हुए। लेकिन अभिषेक और देवेन्द्र सिंह दादू समेत कई युवा कांग्रेसियों ने राष्ट्रीय प्रभारी मनीष शर्मा से चुनाव में धांधली की शिकायत कर दी। इसके बाद प्रदेश अध्यक्ष के नाम का ऐलान रोक दिया गया है। आज दिल्ली में शिकायतों पर चर्चा के बाद फैसला हो सकता है।
चुनाव में गड़बड़ी के आरोप बेहद गंभीर हैं। राजगढ़ के शिव दांगी ने बताया कि उन्होंने सदस्यता अभियान पर 20 से 22 लाख रुपए खर्च किए, उनकी टीमों ने 13 हजार वैलिड वोटर बनाए, लेकिन जब रिजल्ट आया तो उन्हें मात्र 4500 वोट मिले। उन्होंने इस मामले की शिकायत ईमेल के जरिए कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से की है। यह अकेला मामला नहीं है। इस चुनाव में 15.37 लाख युवाओं ने फॉर्म भरे थे, लेकिन हैरानी की बात है कि 56% यानी 6.78 लाख मेंबरशिप ही वैलिड पाई गई। बाकी रिजेक्ट कर दी गईं। इन गड़बड़ियों के आरोपों पर प्रदेश चुनाव अधिकारी मुकुल गुप्ता और राष्ट्रीय प्रभारी मनीष शर्मा जवाब नहीं दे रहे हैं।
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कांग्रेस के इस आंतरिक घमासान पर भाजपा को हमला करने का मौका मिल गया है। 9 नवंबर को ही राहुल गांधी ने SIR को ‘वोट चोरी का हथियार’ बताया था। इस पर पलटवार करते हुए मध्य प्रदेश के मंत्री विश्वास सारंग ने कहा कि कांग्रेस पहले अपने यूथ चुनाव में हो रही वोट चोरी देखे। सारंग ने आरोप लगाया कि चुनाव में उम्र सीमा 18 से 35 साल थी, फिर भी 44 साल के संतोष सिंह और 36 साल की अंजुम खान को वोटिंग के लिए पात्र बना दिया गया। उन्होंने कहा कि यह साबित करता है कि कांग्रेस पार्टी में कोई आंतरिक लोकतंत्र नहीं है और वह लोकतांत्रिक व्यवस्था पर विश्वास नहीं करती।






