दीवाली की पूजा रात में क्यों (सौ.सोशल मीडिया)
Diwali 2024:दिवाली का त्योहार दीपों का त्योहार होता हैं जिसमें घर आंगन चमकने लगता है। हिंदू धर्म में वैसे तो कई त्योहार लेकिन दीवाली की बात कुछ अलग ही खास है इस दिन दीयों को जलाने के साथ ही माता लक्ष्मी और श्रीगणेश जी का पूजन किया जाता है। दीवाली की त्योहार दिन भर का होता हैं लेकिन कभी आपने सोचा है इस दिन पूजा केवल रात के समय पर ही क्यों की जाती है दिन में क्यों नहीं। इसे लेकर ज्योतिष में और पौराणिक ग्रंथों में इसका उल्लेख मिलता है। कहते हैं कि, दीवाली के त्योहार में पूजा रात में ही शुभ मानी जाती है। चलिए जानते हैं इसके रहस्य के बारे में ।
यहां पर हिंदू धर्म के अनुसार, रात्रि के समय पर माता लक्ष्मी का पूजन सबसे शुभ समय माना जाता है जो माता को प्रिय भी होता है। दीवाली का त्योहार हर साल अमावस्या के दिन मनाया जाता है इस दिन कहा जाता हैं कि, जब चंद्रमा दिखाई नहीं देता और अंधकार होता है. इस समय घरों में दीप जलाकर लक्ष्मी जी का स्वागत किया जाता है, क्योंकि अंधकार में ही ज्योति का महत्व होता है। दिवाली पर दीपों का महत्व होता हैं जो हमें यह संदेश देता हैं कि, जीवन में पड़ी परेशानियों औऱ अज्ञानता, अंधकार को इन दिवाली के दीयों के साथ खत्म करों। यहां पर दीवाली पर माता लक्ष्मी को हिंदू धर्म में ‘ज्योति’ का प्रतीक माना जाता है जिसका नाता उजियारा से होता है।
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यहां पर दीवाली को लेकर ज्योतिषीय दृष्टिकोण बताया गया है इसके अनुसार,दीवाली पर लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त अमावस्या के बाद का समय होता है इसे प्रदोष काल कहते हैं इसके अलावा जो सूर्यास्त से लेकर लगभग तीन घंटे तक का समय होता है, इस समय पूजा को अत्यधिक शुभ माना जाता है क्योंकि यह समय तामसिक शक्तियों के नाश करती हैं और सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती है। इसलिए रात्रि के इस समय में किए गए मंत्रोच्चारण और दीप प्रज्वलन से घर में सुख-समृद्धि और धन-धान्य का वास होता है।
यहां पर दीवाली से जुड़ी पौराणिक मान्यताएं मिलती है इसके अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान देवी लक्ष्मी का प्राकट्य माना जाता है वहीं पर इस दिन से दीवाली के त्योहार को मनाने की परंपरा शुरु हुई है। कहा जाता हैं कि, समुद्र मंथन के दौरान दिन औऱ रात लग गए थे उस दौरान लक्ष्मी पूजन के लिए रात्रि का समय अधिक शुभ माना जाता है. मान्यता यह भी है कि रात्रि के समय लक्ष्मी जी पृथ्वी पर भ्रमण करती हैं और उन्हीं घरों में वास करती हैं जो स्वच्छ और प्रकाशमय होते हैं।