
विश्व माता-पिता दिवस (सोशल मीडिया)
माता-पिता के समर्पण, प्रेम और बलिदान का सम्मान करने के लिए उनकी सराहना करने के लिए हर साल 1 जून को ‘ग्लोबल पेरेंट्स डे’ (Global Day of Parents 2024) मनाया जाता है। आपको बता दें, भारतीय संस्कृति में भगवान के बाद माता-पिता को दर्जा दिया गया है। माता-पिता ही बच्चों के लिए उनके पहले अभिभावक होते है।
अक्सर कहा जाता है कि माता-पिता भगवान का दिया सबसे अनमोल उपहार हैं और जीवन में कोई भी उनका स्थान नहीं ले सकता है। ‘ग्लोबल पेरेंट्स डे’ माता-पिता के बलिदान और त्याग की सराहना करने का एक विशेष अवसर देता है। माता-पिता अपना पूरा जीवन अपने बच्चों के भविष्य को उज्जवल बनाने में लगा देते हैं।
आज के आधुनिक युग में यदि आप अपने माता-पिता से दूर हैं, तो व्हाट्सअप मैसेज या किसी अन्य ऑनलाइन माध्यम से आप उन्हें इस दिन पर आभार प्रकट कर सकते हैं। ‘ग्लोबल पेरेंट्स डे’ (Global Day of Parents 2024) के मौके पर आइए जानें कब हुई थी इसकी शुरुआत और इसका महत्व –
जानकारों के अनुसार, ‘पेरेंट्स डे’ अलग-अलग देशों में अलग-अलग दिन मनाया जाता है। उदाहरण के लिए अमेरिका में जुलाई के चौथे रविवार और साउथ कोरिया में 8 मई को ग्लोबल पेरेंट्स डे मनाया जाता है। ‘ग्लोबल पेरेंट्स डे’ की शरुआत यूएन जर्नल असेंबली में 1994 में की गई थी, ताकि विश्वभर में माता-पिता का सम्मान किया जा सके। यह दिवस पेरेंटिंग में माता-पिता द्वारा निभाई जाने वाली महत्वपूर्ण भूमिका के लिए मनाया जाता है। ‘ग्लोबल पेरेंट्स डे’ के आइडिया को यूनिफिकेशन चर्च और सेनेटर ट्रेंट लॉट द्वारा समर्थित किया गया था, जिसके बाद इसे हर साल मनाया जाने लगा।
विश्व माता-पिता दिवस (सोशल मीडिया)
दुनियाभर में हर साल 1 जून को ‘ग्लोबल पेरेंट्स डे’ मनाया जाता है। इस दिन बच्चे अपने माता पिता के प्रति सम्मान और निस्वार्थ प्रतिबद्धता और इस रिश्ते के लिए आजीवन बलिदान के आभार प्रकट करते हैं। अक्सर कहा जाता है कि माता-पिता भगवान का दिया सबसे अनमोल उपहार हैं, और जीवन में कोई भी उनकी स्थान नहीं ले सकता है। यह दिन खास दिन माता-पिता के बलिदान और त्याग की सराहना करने का एक विशेष अवसर देता है।
ग्लोबल पेरेंट्स डे के जरिए बताया जाता है परिवार के साथ बच्चों के पोषण और संरक्षण माता-पिता की एक प्राथमिक जिम्मेदारी है। बच्चों के विकास के लिए आवश्यकता है कि वे अच्छे पारिवारिक माहौल में बड़े हों, जहां खुशी, प्यार और विश्वास हो। इसमें कोई संदेह नहीं है कि पारिवारिक नीतियां भूख और गरीबी को दूर कर सामाजिक विकास, आर्थिक समृद्धि आदि को बढ़ावा देता है। इसलिए सामाजिक जीवन का केंद्र सिर्फ परिवार है।
(लेखक- सीमा कुमारी)






