बारिश के मौसम में दही खाने से बचना चाहिए (सौ.सोशल मीडिया)
भारत में मानसून ने दस्तक दे दी है। ऐसे में, मौसम के बदलाव के साथ शरीर में भी कई तरह के परिवर्तन होते हैं, जिसका असर हमारी सेहत पर पड़ता है। इस दौरान इम्युनिटी कमजोर हो सकती है, जिससे सर्दी-जुकाम और अन्य कई बीमारियां होने का खतरा बढ़ जाता है।
आयुर्वेद के अनुसार, बदलते मौसम में कुछ चीज़ों का सेवन सावधानी से करना चाहिए। विशेष रूप से बरसात के मौसम में दही खाने से बचना चाहिए या इसका सेवन बहुत कम मात्रा में करना चाहिए।
आयुर्वेद के अनुसार, मानसून में दही का सेवन करने से शरीर के तीनों दोष- वात, पित्त और कफ प्रभावित हो सकते हैं। यह शरीर को कमजोर कर सकता है और कई मौसमी बीमारियों का कारण बन सकता है। यहाँ कुछ और कारण दिए गए हैं कि मानसून में दही से परहेज़ करना क्यों बेहतर है-
आयुर्वेद एक्सपर्ट्स का मानना है कि, बारिश के दिनों दही जैसे ठंडे डेरी प्रोडक्ट्स का सेवन शरीर की इम्यून सिस्टम यानी प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर कर सकता है। ठंडे खाद्य पदार्थों का अधिक सेवन करने से शरीर में बलगम बढ़ता है, जिससे पेट की सेहत खराब हो सकती है और शरीर मौसमी बीमारियों और एलर्जी का शिकार हो सकता है।इसलिए इस मौसम में दही खाने से बचना चाहिए।
आपको बता दें, बरसात के मौसम में रोजाना दही खाने से शरीर में बलगम बनने लगता है, जिससे सर्दी, खांसी और कंजेशन (छाती में जमाव) जैसी सांस संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। मौसम में नमी और ह्यूमिडिटी के कारण भी बीमारियों और एलर्जी का खतरा बढ़ भी जाता है। इसलिए इस मौसम में दही खाने की मनाही होती है। अगर आप अस्थमा के मरीज है तो बिल्कुल भी इस मौसम में दही का सेवन न करें।
आयुर्वेद की मानें तो, मानसून के दौरान, हमारे शरीर का मेटाबॉलिज्म धीमा हो जाता है और पाचन शक्ति कमजोर पड़ जाती है। दही को पचाने में समय लगता है और यह भारी होता है। ऐसे में, जब पाचन क्रिया पहले से ही धीमी हो, तो दही का सेवन करने से यह ठीक से पच नहीं पाता, जिससे अपच, पेट फूलना और अन्य पाचन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। इसलिए, आयुर्वेद की मानें तो बरसात के मौसम में दही का सेवन फायदेमंद नहीं है।
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अगर आप बरसात के मौसम में दही खाना ही चाहते हैं, तो इसे सही तरीके से खाना बेहद ज़रूरी है। इसमें एक चुटकी भुना जीरा पाउडर, काली मिर्च और काला नमक या शहद मिलाना सबसे अच्छा है। ऐसा करने से दही का ठंडा प्रभाव संतुलित होता है और यह पाचन तथा आंत के स्वास्थ्य में सुधार करने में मदद करता है।