चिराग पासवान और पशुपति पारस (डिजाइन फोटो)
पटना: बिहार के पासवान परिवार में सियासी घमासान लगातार गहराता जा रहा है। करीब एक हफ्ते पहले दिवंगत रामविलास पासवान की पहली पत्नी राजकुमारी देवी के आरोपों से शुरू हुआ घमासान हर दिन और गहराता जा रहा है। शनिवार को चिराग पासवान अपने पैतृक शहर बन्नी गए और अपनी बड़ी मां से मुलाकात की। इसके बाद चिराग ने अपने चाचा पशुपति पारस पर हमला बोला। आज पशुपति पारस ने तीखे सवाल पूछे हैं।
पूर्व केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस ने आज अररिया से मीडिया से बात करते हुए चिराग पासवान के आरोपों का जवाब दिया। पारस ने कहा कि चिराग पासवान ओछी राजनीति कर रहे हैं। वे शहरबन्नी गांव जाकर फोटो शूट करवा रहे थे। वे राजकुमारी देवी से मिलने का नाटक कर रहे थे।
पशुपति कुमार पारस ने कहा कि मीडिया को चिराग पासवान से पूछना चाहिए कि जब वे बड़ी मां राजकुमारी देवी से मिलने आए थे तो उन्हें इलाज के लिए पटना या दिल्ली क्यों नहीं ले गए। क्या चिराग पासवान अपनी मां का सही तरीके से इलाज नहीं करा सकते? क्या चिराग पासवान ने कभी अपनी बड़ी मां को पटना या दिल्ली वाली हवेली दिखाई है?
पशुपति कुमार पारस ने कहा कि चुनाव नजदीक आते ही चिराग पासवान को अपने दिवंगत पिता और बड़ी मां की याद आ जाती है। बाकी समय वह क्या करते हैं, यह जगजाहिर है। मीडिया के सवालों के जवाब में पशुपति पारस ने कहा कि वे तीन भाई हैं। शहरबन्नी में उनकी पुश्तैनी संपत्ति है, जिसमें तीनों भाइयों का हक है।
पारस ने कहा कि हमारे पिता के निधन के बाद मैंने 6 कमरों का पुश्तैनी मकान फिर से बनवाया। इस मकान में दो-दो कमरे तीनों भाइयों के हिस्से में हैं। चिराग चाहें तो मैं बंटवारा करने को तैयार हूं। अब तक शहरबन्नी की सारी जमीन मैंने अपनी बड़ी भाभी के लिए छोड़ दी थी। लेकिन चिराग से पूछा जाना चाहिए कि उन्होंने अपनी बड़ी मां के लिए क्या किया। चिराग ने अपने पिता के सपनों को चकनाचूर कर दिया है।
बता दें कि पासवान परिवार में एक सप्ताह से घमासान मचा हुआ है। इसी बीच शनिवार को चिराग पासवान अपने पैतृक गांव शहरबन्नी पहुंचे। उन्होंने दिवंगत रामविलास पासवान की पहली पत्नी राजकुमारी देवी से मुलाकात की। उसके बाद उन्होंने अपने चाचा पशुपति कुमार पारस पर हमला बोला। चिराग ने कहा था कि मेरी बड़ी मां का दुख मेरा दुख है। मैं हर परिस्थिति में अपनी बड़ी मां के साथ खड़ा रहूंगा।
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उन्होंने कहा कि पशुपति कुमार पारस घर के बड़े हैं। उन्होंने समय-समय पर फैसले लिए। मुझे परिवार से निकालना उनका फैसला था, मुझे मेरी ही पार्टी से निकालना उनका फैसला था, मेरे पिता द्वारा बनाई गई पार्टी का नामोनिशान मिटाना उनका फैसला था। अगर वह परिवार में फूट डालना चाहते हैं तो यह फैसला भी उनका होगा। अगर उन्होंने इस फैसले का रास्ता अपनाया है तो वह जानकारी दे सकते हैं, वह जो चाहेंगे वही होगा।