एकनाथ शिंदे, छगन भुजबल (pic credit; social media)
Maharashtra Politics: आगामी सिंहस्थ (कुंभ मेले) की कमान जल संसाधन मंत्री गिरीश महाजन के हाथों में जाने से महायुति (महाराष्ट्र सरकार का गठबंधन) में अंदरूनी कलह शुरू हो गई है। यह मामला तब और गरमा गया जब शिवसेना के पक्ष प्रमुख और उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के खाद्य और नागरिक आपूर्ति मंत्री छगन भुजबल ने भी इसमें दखल दिया। भुजबल ने सिंहस्थ कार्यों की समीक्षा बैठक बुलाई है, जबकि शिंदे ने खुद इन कार्यों की जानकारी मांगी है।
सिंहस्थ के लिए मनपा ने 15 हजार करोड़ रुपये और अन्य विभागों ने 9 हजार करोड़ रुपये का कुल 24 हजार करोड़ रुपये का एक मसौदा तैयार किया है। इन सभी बैठकों की अध्यक्षता मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने की है, जिन्होंने कुंभ मेले की जिम्मेदारी जल संसाधन मंत्री गिरीश महाजन को सौंपी है। इससे सिंहस्थ के सारे सूत्र महाजन के जरिए बीजेपी के हाथ में आ गए हैं। जिले में 4 मंत्री छगन भुजबल, नरहरी झिरवाल, माणिकराव कोकाटे और दादा भुसे होने के बावजूद, उन्हें सिंहस्थ की बैठकों में नहीं बुलाया जा रहा है। मंत्रियों और विधायकों को नजरअंदाज करके कुंभ मेले की योजना बनाने से महायुति के नेताओं में नाराजगी है। आरोप यह भी है कि सिंहस्थ के ठेके भाजपा के खास ठेकेदारों को दिए जा रहे हैं।
भाजपा द्वारा इस नाराजगी को नजरअंदाज किए जाने के बाद, शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस ने सीधे सिंहस्थ के मैदान में उतरकर बीजेपी को चुनौती देने की कोशिशें शुरू कर दी हैं। मंत्री बनने के बाद शांत रहे भुजबल ने गुरुवार (21 अगस्त) को सिंहस्थ कार्यों की समीक्षा बैठक बुलाई है वहीं, उपमुख्यमंत्री शिंदे के नगर विकास विभाग ने भी नाराजगी व्यक्त की है कि उन्हें सिंहस्थ के कार्यों के बारे में जानकारी नहीं दी जा रही है। उन्होंने प्राधिकरण की स्थापना, कानून बनाने, शुरुआती चरण के कार्यों की मंजूरी और वित्तीय प्रावधानों पर एक नई रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।
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भुजबल और शिंदे के सक्रिय होने से प्रशासन असमंजस में है। सिंहस्थ के लिए 24 हजार करोड़ रुपये का मसौदा सरकार को सौंपा गया है, जिसमें से लोक निर्माण विभाग को 2270 करोड़ और सिंहस्थ प्राधिकरण को 1000 करोड़ रुपये मंजूर हुए हैं। सिंहस्थ केवल डेढ़ साल दूर है, लेकिन पर्याप्त धन की कमी के कारण प्रशासन में बेचैनी है। राष्ट्रवादी और शिवसेना ने अब प्रशासन के माध्यम से बीजेपी को घेरने की रणनीति बनाई है, यह कहते हुए कि उन्हें सिंहस्थ के कार्यों से दूर रखा जा रहा है।