हाई कोर्ट (फाइल फोटो)
Nagpur News: राज्यपाल की ओर से 13 अक्टूबर 2025 को अध्यादेश जारी किया गया। अध्यादेश संख्या IX/2025 की वैधता को चुनौती देते हुए एपीएमसी के निर्वाचित कार्यकारी समिति के सदस्य अहमद शेख और अन्य की ओर से हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई। याचिका पर सुनवाई के बाद न्यायाधीश अनिल किल्लोर और न्यायाधीश रजनीश व्यास ने राज्य के सहकार और पणन विभाग सचिव को नोटिस जारी कर जवाब दायर करने का आदेश दिया।
याचिकाकर्ता की अधि। एएम घारे और राज्य सरकार की मुख्य सरकारी वकील देवेन चौहान ने पैरवी की। याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया है कि यह नया अध्यादेश जो अध्यादेश संख्या XXVI/2018 के समान है, उसका पुन:प्रख्यापन है, जो सुप्रीम कोर्ट के फैसलों के आलोक में संविधान पर एक आघात है।
याचिका में कहा गया है कि अध्यादेश IX/2025 का पुन:प्रख्यापन शक्तियों का दुरुपयोग था और दुर्भावनापूर्ण इरादे से प्रेरित था। याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि राज्यपाल द्वारा संविधान के अनुच्छेद 213 के तहत शक्तियों का प्रयोग करने के लिए कोई तत्काल दबाव या आपातकालीन स्थिति नहीं थी।
इस अध्यादेश में ‘राष्ट्रीय महत्व के बाजार’ की अवधारणा को महाराष्ट्र कृषि उपज विपणन (विकास और विनियमन) अधिनियम, 1963 में पेश करने का प्रावधान है। याचिकाकर्ताओं ने बताया कि इससे पहले इसी प्रावधान से संबंधित बिल संख्या 64/2018 को विधानमंडल के समक्ष रखा गया था लेकिन वह समाप्त हो चुका था।
याचिकाकर्ताओं ने प्रस्तुत किया है कि एपीएमसी नागपुर जिसका प्रबंधन इंडियन नेशनल कांग्रेस पार्टी के राजनीतिक झुकाव वाले कार्यकारी समिति के सदस्यों द्वारा किया जाता है, राज्य सरकार जो विरोधी भारतीय जनता पार्टी द्वारा शासित है, उनके द्वारा लगातार सौतेले व्यवहार का सामना कर रहा है।
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एपीएमसी के कार्यकारी समिति के चुनाव 2017 में होने वाले थे लेकिन जिलाधिकारी ने इसे स्थगित कर दिया था। 16 जनवरी 2018 को न्यायालय ने एक याचिका में पुन:प्रख्यापित अध्यादेश संख्या XVII/2017 को कई आधारों पर अवैध घोषित किया था, जबकि 19 नवंबर 2021 को आखिरकार चुनाव संपन्न हुए थे।
याचिकाकर्ताओं ने 13 अक्टूबर 2025 को जारी अध्यादेश संख्या IX को रद्द करने का आदेश देने का अनुरोध किया। वैकल्पिक रूप से वर्तमान याचिका लंबित रहने तक अध्यादेश के संचालन और कार्यान्वयन पर उपयुक्त अंतरिम रोक लगाने की मांग भी की। साथ ही एपीएमसी की निर्वाचित कार्यकारी समिति को मामलों का प्रबंधन जारी रखने की अनुमति दी जाए।