घनश्याम दास बिड़ला (सौ. सोशल मीडिया )
भारत की औद्योगिक क्रांति की जब भी बात आती है, तो इसमें घनश्याम दास बिड़ला का नाम सबसे पहले आता है। उनकी पहचान पूरे देश में आद्यौगिक क्रांति के जनक के तौर पर की जाती है। आज के दिन उनकी 41 वीं पुण्यतिथि मनायी जा रही है।
आपको बता दें कि जीडी बाबू के नाम से पहचान बनाने वाले घनश्याम दास बिड़ला का जन्म राजस्थान के पिलानी में 10 अप्रैल 1894 को हुआ था। उनके जन्म के बाद अंग्रेजी शासनकाल के दौरान भी उन्होंने देश को आर्थिक रूप से मजबूत करके सराहनीय काम किया था। जीडी बाबू का निधन 11 जून 1983 में हुआ था।
घनश्याम दास बिड़ला भारत के सबसे बड़े इंडस्ट्रियल ग्रुप बी.के.के.एम.बिड़ला ग्रुप के फाउंडर थे। जिसकी प्रॉपर्टीज आज 195 अरब रुपये से ज्यादा है। घनश्याम दास बिड़ला ने आजादी की लड़ाई में इनडायरेक्टली बहुत बड़ा योगदान दिया था। वो स्वाधीनता सेनानी के साथ ही बिड़ला फैमिली के एक बेहद प्रभावशाली सदस्य भी रहे हैं। उन्होंने महात्मा गांधी के मित्र, प्रशंसक और सलाहकार के तौर पर भी अपनी पहचान बनायी थी। जीडी बिड़ला को साल 1957 में भारत सरकार के द्वारा पद्म विभूषण की उपाधि से भी सम्मानित किया गया था।
सिर्फ 30 साल की उम्र में देश में अपनी इंडस्ट्रियल साम्राज्य जमाने वाले घनश्याम दास बिड़ला ने साल 1919 में बंगाल जाकर जूट इंडस्ट्री में कदम रखा था। वो अपनी सच्चाई और ईमानदार के लिए जाने जाते थे। वे सिर्फ महात्मा गांधी ही नहीं बल्कि देश के पहले गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल के भी बेहद करीबी मित्र माने जाते हैं। साथ ही घनश्याम दास ने देश के कई अन्य बिजनेसमैन के साथ मिलकर साल 1927 में इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री की भी स्थापना की थी।
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घनश्याम दास ने अपने पैतृक गांव पिलानी में देश की बेस्ट प्राइवेट टेक्नोलॉजी इंस्टीट्यूट बिड़ला टेक्नोलॉजी एंड साइंस इंस्टीट्यूट की स्थापना भी की थी। बिड़ला ग्रुप का मेन बिजनेस केमिकल, इलेक्ट्रिसिटी, टेलीकॉम, फाइनेंशियल सर्विस, कपड़ा, फ्लामेंट यार्न और एल्युमिनियम सेक्टर में है। जबकि ग्रासिम इंडस्ट्रीज और सेंचुरी टेक्सटाइल बिड़ला ग्रुप की लीडिंग कंपनियां हैं।