
रामगढ़ विधानसभा, (कॉन्सेप्ट फोटो)
Bihar Assembly Election 2025: बिहार में रामगढ़ विधानसभा सीट कैमूर जिले के अंतर्गत आती है और यह अपनी अप्रत्याशित चुनावी चाल के लिए जानी जाती है। इस सीट की खास बात यह है कि पिछले चार चुनाव से यहां पर कभी राजद (RJD) के उम्मीदवार ने लालटेन जलाई तो कभी भाजपा (BJP) के उम्मीदवार ने कमल खिलाने का काम किया।
यह सीट राजद और भाजपा का फिफ्टी-फिफ्टी मुकाबला बन चुकी है। आगामी Bihar Assembly Election 2025 में एक बार फिर यह सीट इन दोनों प्रमुख दलों के बीच सीधे और कांटे की टक्कर का केंद्र बनी हुई है।
रामगढ़ विधानसभा सीट का इतिहास साफ तौर पर सत्ता विरोधी लहर और व्यक्तिगत उम्मीदवारों के प्रभाव को दर्शाता है:
पिछले चार चुनाव: पिछले चार चुनावों में दो बार राजद और दो बार भाजपा उम्मीदवार चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंच चुके हैं।
उपचुनाव 2024: इस सीट पर उपचुनाव इसीलिए हुए थे, क्योंकि 2020 में यहाँ से विधायक सुधाकर सिंह 2024 का लोकसभा चुनाव जीतकर संसद पहुंच गए। विधायक पद से इस्तीफा देने के बाद हुई इस उपचुनाव में राजद इस सीट को बचाने में सफल नहीं हो पाई और भाजपा उम्मीदवार अशोक कुमार सिंह चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंच गए।
पिछला प्रदर्शन: 2015 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने इस सीट पर जीत हासिल की थी, जबकि 2010 में राजद ने दबदबा बनाया था।
यह उतार-चढ़ाव इस बात का प्रमाण है कि रामगढ़ की जनता किसी एक दल की बंधी हुई वोटर नहीं है, बल्कि हर चुनाव में बदलाव को तरजीह देती है।
इस बार चुनावी मैदान में भाजपा-राजद के अलावा कई पार्टियां हैं, लेकिन असली जंग तो भाजपा और राजद के उम्मीदवारों के बीच ही है।
भाजपा के उम्मीदवार: भाजपा ने 2024 के उपचुनाव में कमल खिलाने वाले अशोक सिंह पर एक बार फिर भरोसा जताया है। वह अपनी जीत दोहराने के लिए पूरी कोशिश करेंगे।
राजद के उम्मीदवार: राजद ने अजीत सिंह को टिकट दिया है। राजद इस उपचुनाव की हार का बदला लेने और अपना खोया हुआ जनाधार वापस पाने के लिए जोर लगा रही है।
2024 के उपचुनाव में बीएसपी का उम्मीदवार दूसरे, जबकि राजद का उम्मीदवार तीसरे नंबर पर रहा था। इस बार के चुनाव में राजद को अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए यादव-मुस्लिम समीकरण के साथ-साथ अन्य ओबीसी और दलित वोटों को एकजुट करना होगा।
रामगढ़ विधानसभा क्षेत्र में कुल जनसंख्या 4,79,213 है। चुनाव आयोग के अनुसार, इस सीट पर कुल वोटर 2,86,371 हैं, जिसमें पुरुष 1,48,410 और महिलाएं 1,37,959 हैं।
इस चुनाव में दोनों प्रमुख दलों के वादे और एजेंडे बिल्कुल स्पष्ट हैं:
भाजपा का एजेंडा: भाजपा के प्रत्याशी डबल इंजन सरकार के 20 साल के विकास कार्यों को लेकर जनता के बीच हैं, जिसमें बुनियादी ढांचा और केंद्र की योजनाएं शामिल हैं।
राजद का एजेंडा: राजद के प्रत्याशी हर घर सरकारी नौकरी दिलाने के दावे के साथ जनता के बीच पहुंच रहे हैं, जो यहाँ की बेरोजगारी की समस्या पर सीधा वार है।
प्रमुख मुद्दे: बेरोजगारी और पलायन
रामगढ़ एक पिछड़ा ग्रामीण क्षेत्र है, जहाँ बेरोजगारी और पलायन सबसे प्रमुख और गंभीर समस्याएं हैं। यहां के लोग मुख्य रूप से कृषि पर निर्भर हैं, लेकिन बाढ़ जैसी आपदाओं ने किसान को आर्थिक नुकसान पहुंचाया है। बेरोजगारी की वजह से यहां के युवा बड़े शहरों की ओर पलायन कर रहे हैं। यहां की जनता को आस है कि बिहार की नई सरकार उनकी विधानसभा में विकास करेगी और इन समस्याओं का स्थायी समाधान निकालेगी।
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रामगढ़ विधानसभा सीट एक ऐसी सीट है, जहां हर चुनाव में बदलाव की लहर चलती है। यह राजद और भाजपा के संगठनात्मक शक्ति की कसौटी है। 2025 का चुनाव इस बात का फैसला करेगा कि भाजपा उम्मीदवार अशोक सिंह अपनी उपचुनाव की जीत को बरकरार रखकर डबल इंजन के विकास को मान्यता दिला पाते हैं, या फिर राजद के अजीत सिंह बेरोजगारी और पलायन के मुद्दों पर जनता का विश्वास जीतकर उपचुनाव की हार का बदला लेते हैं। यह एक फिफ्टी-फिफ्टी मुकाबला है, जहां जीत का अंतर बहुत कम रहने की संभावना है।






