प्रतीकात्मक फोटो, सोर्स- सोशल मीडिया
Jharkhand Forest Land Scam: झारखंड में वन भूमि घोटाले को लेकर एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) ने बड़ी कार्रवाई की है। चर्चित ऑटोमोबाइल कारोबारी विनय कुमार सिंह के रांची स्थित आवास और कार्यालय समेत छह ठिकानों पर रविवार को एक साथ छापेमारी की गई। इससे पहले उन्हें 25 सितंबर की शाम गिरफ्तार किया गया था।
वन भूमि को गैरकानूनी तरीके से निजी स्वामित्व में बदलने के आरोप में कारोबारी विनय सिंह के खिलाफ एसीबी ने छापेमारी शुरू की। आईएएस अफसर समेत कई सरकारी अधिकारियों से मिलीभगत का आरोप।
एसीबी की जांच में खुलासा हुआ कि विनय सिंह और उनकी पत्नी स्निग्धा सिंह के नाम पर 2013 में गैर मजरुआ खास यानी डीम्ड फॉरेस्ट कैटेगरी की भूमि को अवैध रूप से दाखिल-खारिज किया गया। यह कार्रवाई उस समय की गई जब आईएएस अधिकारी विनय कुमार चौबे, जो इस वक्त जेल में हैं, हजारीबाग के उपायुक्त थे। जांच एजेंसी का मानना है कि सरकारी दस्तावेजों में हेरफेर कर करोड़ों रुपये मूल्य की सरकारी भूमि को निजी स्वामित्व में बदलने की कोशिश की गई।
यह जमीन अधिसूचित वन क्षेत्र में आती थी और यहां किसी भी प्रकार की गैर-वानिकी गतिविधि भारतीय वन अधिनियम, 1927 और वन संरक्षण अधिनियम, 1980 के तहत कानूनी अपराध है। इसके अलावा, सुप्रीम कोर्ट के 1996 के फैसले का हवाला देते हुए यह भी कहा गया कि जंगल-झाड़ी श्रेणी की भूमि का उपयोग भारत सरकार की अनुमति के बिना नहीं किया जा सकता। इसके बावजूद इस जमीन पर जमाबंदी कर दी गई थी, जिसे बाद में रद्द कर दिया गया।
एसीबी ने इसी वर्ष मामले की जांच शुरू की थी। जांच के दौरान कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए, जिनमें सरकारी रिकॉर्ड से छेड़छाड़, नियमों की अनदेखी और उच्च अधिकारियों की मिलीभगत शामिल है। विनय सिंह की गिरफ्तारी के बाद रविवार को रांची स्थित आवास, दफ्तर और अन्य चार स्थानों पर एक साथ रेड की गई। एसीबी सूत्रों ने बताया कि छापेमारी में कई महत्वपूर्ण दस्तावेज, लैपटॉप, पेन ड्राइव और मोबाइल डिवाइसेज जब्त किए गए हैं, जिनका विश्लेषण किया जा रहा है।
सूत्रों के मुताबिक, एसीबी की जांच आगे बढ़ने पर इस घोटाले में अन्य सरकारी अधिकारी और प्रभावशाली नाम भी सामने आ सकते हैं। वन विभाग की शुरुआती रिपोर्ट पहले ही यह स्पष्ट कर चुकी है कि अधिसूचित वन भूमि पर गैर-कानूनी कब्जा और उपयोग गंभीर अपराध की श्रेणी में आता है।
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झारखंड में एक बार फिर भ्रष्टाचार की जड़ें उजागर हुई हैं, जहां सरकारी सिस्टम की मिलीभगत से करोड़ों की वन भूमि पर कब्जे का प्रयास किया गया। एसीबी की छापेमारी और जांच में अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या केवल कुछ नामों तक कार्रवाई सीमित रहेगी या इस घोटाले में शामिल पूरे नेटवर्क को बेनकाब किया जाएगा।