पीएम मोदी के साथ उमर अब्दुल्ला, फोटो: सोशल मीडिया
J&K full Statehood: जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में विभाजित कर दिया गया था। केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर को दोबारा पूर्ण राज्य का दर्जा देने पर मंथन कर रही है। इसीलिए उमर अब्दुल्ला पिछले कुछ दिनों से भाजपा सरकार के लिए मीठे बोल बोलते नजर आ रहे हैं। इतना ही नहीं गुजरात का दौरा करके सरकार के कई कार्यों की तारीफ भी की थी।
सूत्रों के मुताबिक, इस फैसले की पृष्ठभूमि में जम्मू-कश्मीर की मौजूदा सरकार और मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की ओर से लगातार केंद्र से आग्रह किया गया है। उमर अब्दुल्ला की कैबिनेट ने यह प्रस्ताव पास कर उपराज्यपाल के माध्यम से केंद्र को भेजा था, जिसे दस महीने पहले ही मंजूरी मिल चुकी है। अब यह केंद्र सरकार पर निर्भर है कि वह इस प्रस्ताव को कब संसद में पेश करती है।
जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा देने के लिए केंद्र को संसद के माध्यम से जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 में संशोधन करना होगा। यह प्रक्रिया संविधान की धारा 3 और 4 के तहत की जाएगी। लोकसभा और राज्यसभा, दोनों सदनों से इसे पास कराने के बाद राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। राष्ट्रपति की अधिसूचना जारी होते ही जम्मू-कश्मीर फिर से पूर्ण राज्य बन जाएगा।
हालांकि, भाजपा के एजेंडे से यह स्पष्ट है कि अनुच्छेद 370 की बहाली नहीं की जाएगी। यानी जम्मू-कश्मीर को पूर्ववर्ती विशेष राज्य का दर्जा तो नहीं मिलेगा, लेकिन लोकतांत्रिक प्रक्रिया के तहत एक निर्वाचित सरकार को फिर से पूर्ण अधिकार जरूर मिल सकते हैं। इससे जनता को बेहतर प्रशासन, स्थानीय स्तर पर निर्णय लेने की शक्ति और राजनीतिक स्थिरता का लाभ मिलेगा।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि केंद्र का यह कदम राष्ट्रीय एकता को और मजबूत करेगा और जम्मू-कश्मीर के विकास को नई दिशा देगा। यह फैसला न केवल लोकतंत्र को पुनर्स्थापित करेगा बल्कि स्थानीय नेताओं के सहयोग से केंद्र और राज्य के बीच सामंजस्य को भी बढ़ाएगा।
यह भी पढ़ें: NDA संसदीय दल की बैठक, ऑपरेशन सिंदूर के लिए पीएम मोदी को किया गया सम्मानित
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह की हालिया राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात के बाद यह चर्चा और तेज हो गई है कि सरकार आने वाले दिनों में यह ऐलान कर सकती है। इस कदम से जहां जम्मू-कश्मीर की जनता को राजनीतिक अधिकारों की बहाली का भरोसा मिलेगा, वहीं देश की संसद एक बार फिर एक बड़े ऐतिहासिक निर्णय की गवाह बन सकती है।