प्रेमानंद महाराज, (फाइल फोटो)
Premanand Maharaj Health Update: वृंदावन के प्रसिद्ध संत प्रेमानंद महाराज अपनी दोनों किडनी खराब होने के बावजूद, लगातार मिल रही किडनी दान की पेशकशों को ठुकरा रहे हैं। संत का यह अटल निर्णय उनके भक्तों को भावुक कर रहा है, जिन्होंने महाराज के जल्द स्वस्थ होने और उनके निरंतर मार्गदर्शन के लिए प्रार्थना शुरू कर दी है।
प्रेमानंद महाराज पिछले लगभग 18 से 20 सालों से पॉलीसिस्टिक किडनी रोग (Polycystic Kidney Disease) नामक गंभीर बीमारी से पीड़ित हैं, जिसके कारण उनकी दोनों किडनियां लगभग खराब हो चुकी हैं। वे 56 साल की उम्र में भी नियमित रूप से डायलिसिस पर जीवन जी रहे हैं, जो उनके वृंदावन स्थित आवास पर ही किया जाता है।
महाराज के कई भक्त उनकी गिरती तबीयत की खबरों से चिंतित होकर उन्हें अपनी किडनी दान करने की पेशकश कर चुके हैं। मगर संत प्रेमानंद महाराज ने हमेशा इस प्रेम को अस्वीकार कर दिया है। अब यह बात स्पष्ट हो गई है कि वे किसी भी भक्त से किडनी क्यों नहीं ले रहे हैं। प्रेमानंद महाराज ने स्पष्ट कहा है कि वह किसी और का अंग लेकर जीवित नहीं रहना चाहते और अब वह इस शरीर का त्याग करना चाहते हैं। उनका यह दृढ़ संकल्प उनकी अद्भुत वैराग्य भावना को दर्शाता है।
महाराज के इस संकल्प के बावजूद, उनका एक शिष्य उनके प्रति अद्भुत प्रेम प्रदर्शित कर रहा है। उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले के निवासी रमेश चंद्र शुक्ला ने सोशल मीडिया के माध्यम से प्रेमानंद महाराज को अपनी एक किडनी दान करने की भावपूर्ण इच्छा जाहिर की है। रमेश चंद्र शुक्ला, जो पेशे से पत्रकार और अखिल भारतीय स्वतंत्रता सेनानी उत्तराधिकारी संगठन के जिला उपाध्यक्ष हैं, ने कहा है कि प्रेमानंद जी महाराज केवल संत नहीं, बल्कि समाज के सच्चे मार्गदर्शक और विचारक हैं।
उन्होंने कहा कि ऐसे दिव्य पुरुष सदैव समाज को सही दिशा और प्रेरणा देते हैं, इसलिए मैं चाहता हूं कि महाराज स्वस्थ रहें और समाज को अपना आशीर्वाद और मार्गदर्शन निरंतर देते रहें। रमेश शुक्ला के इस मानवता और श्रद्धा भरी भावना की चर्चा क्षेत्र में व्यापक रूप से हो रही है।
वृंदावन के राधा वल्लभ सम्प्रदाय से जुड़े प्रेमानंद जी महाराज की आस्था उन्हें इस गंभीर बीमारी से जूझने की शक्ति देती है। उनकी दोनों किडनियों के खराब होने के बावजूद, उन्होंने अपनी दोनों किडनियों को राधा और कृष्ण का नाम दिया है। उनका मानना है कि जब तक श्रीजी (राधा) चाहेंगी, उनकी सांसें चलती रहेंगी।
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संत प्रेमानंद महाराज जी 56 वर्ष की उम्र में, दोनों किडनी खराब होने और लगातार डायलिसिस पर रहने के बावजूद, वह रोजाना पूरी श्रद्धा के साथ पूजा-पाठ करते हैं और अपनी मशहूर रात्रि पद यात्राएं जारी रखते हैं। उनकी अटूट आस्था, हिम्मत और भक्ति देखकर लोग उन्हें अत्यंत सम्मान देते हैं, जिसके कारण उनके स्वास्थ्य की चिंता पूरे देश में है। लोग उनके जल्द स्वस्थ होने की कामना कर रहे हैं।