कॉन्सेप्ट फोटो (डिजाइन)
हैदराबाद: तिरुपति लड्डू विवाद इन दिनों मीडिया की सुर्खियों में अव्वल है। इसे लेकर एक तरफ भक्तों में रोष दिखाई दे रहा है तो दूसरी तरफ सियासी रोटिंयां भी सेंकी जा रही है। आंध्र प्रदेश ही नहीं बल्कि देश के हर कोने से इस विवाद को लेकर सियासतदानों की बयानबाजी का जारी है। इतना ही नहीं सोशल मीडिया पर भी लोग इसको लेकर 1857 की क्रांति की याद दिला रहे हैं। लोग तरह तरह से हिंदुओं के गुस्से को भड़काने या एकजुट होने की नसीहत दे रहे हैं। इस बीच एक सवाल यह उठ रहा है कि लड्डू विवाद का मंगल पांडेय कौन बन सकता है..यानी इस मुद्दे को उठाने से लेकर हल करने तक का क्रेडिट या राजनैतिक लाभ किसे मिलेगा..?
इन सवालों का जवाब जानने से पहले आपको एक बार मंगल पांडेय की याद दिला देते हैं। मंगल पांडेय को 1857 की क्रांति के प्रथम योद्धा के तौर पर जाना जाता है। बलिया के इस बागी वीर ने भी अंग्रेजों के खिलाफ केवल इस बात पर बगावत शुरू कर दी थी। क्योंकि अंग्रेजी हुकूमत ने जवानों को दी जाने वाली कारतूस में जानवरों की चर्बी भरी थी। उस चर्बी को आज की चर्बी से कनेक्ट किया जा रहा है।
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अब एक बार फिर वैसा ही कुछ देखने को मिला है। इस बार तिरुपति बालाजी मंदिर के लड्डू प्रसाद में मछली का तेल और जानवरों की चर्बी मिलाए जाने की बात सामने आई है। जिसके बाद यह सवाल फिर से लाजमी हो गया है कि इस बार कौन मंगल पांडेय बनने वाला है? जिसके जवाब में चार नाम निकलकर सामने आए हैं, जो इस मुद्दे को लेकर मुखर हो गए हैं और अपने तरीके से काम कर रहे हैं……
आंध्र प्रदेश सरकार के मुखिया चंद्रबाबू नायडू और उनकी पार्टी ने सबसे पहले एक रिपोर्ट साझा करते हुए 18 सितंबर को आंध्र प्रदेश में वाईएसआर कांग्रेस पार्टी की सरकार के कार्यकाल के दौरान तिरुपति मंदिर में मिलने वाले लड्डू के बारे में एक लैब की रिपोर्ट पेश करके आरोप लगा था कि मंदिर के प्रसाद वाले लड्डू में जानवरों की चर्बी व फिश ऑयल का इस्तेमाल किया जा रहा था।
तिरुपति बालाजी मंदिर के लड्डू विवाद से आहत होकर राज्य के डिप्टी सीएम पवन कल्याण 11 दिन के प्रायश्चित उपवास पर बैठे हुए हैं। 11 दिनों के प्रायश्चित दीक्षा यानी उपवास पर जाने से पहले पवन कल्याण ने भगवान से इस घटना को लेकर माफी भी मांगी थी। वह हिंदुओं की भावना को ठेस पहुंचाने से लेकर आहत हैं और अपनी ओर से ऐसी पहल कर रहे हैं।
इस पूरे मसले पर आंध्र प्रदेश के पूर्व मुखिया जगन मोहन रेड्डी ने पीएम मोदी को एक पत्र लिखकर आरोपों को निराधार बताया था। उन्होंने कहा कि चंद्रबाबू नायडू सिर्फ और सिर्फ राजनैतिक फायदे के लिए हिंदू आस्था के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। इसके लिए उन्होंने पीएम मोदी से कार्रवाई की भी मांग की है और लिखा था कि इस मुद्दे पर देश उनकी ओर देख रहा है।
बीजेपी के वरिष्ठ नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने तिरुपति लड्डू विवाद को लेकर सर्वोच्च अदालत का दरवाजा खटखटाया है। उन्होंने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर करते हुए अदालत से मामले की गहराई से जांच की मांग की है, ताकि इस तरह की हरकत किसी और मंदिर में दोबारा न हो सके।
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ये सारे वो नाम हैं जो ‘तिरुपति लड्डू विवाद का मंगल पांडेय’ बनने की राह पर कहे जा सकते हैं। अब देखना दिलचस्प होगा कि जांच में क्या कुछ निकलता है। आरोप कितने सही पाए जाते हैं। यदि सही पाए जाते हैं तो किसे इसका राजनैतिक फायदा मिलता या किसे यह तमगा हासिल होता है!