मल्लिकार्जुन खरगे, ( कांग्रेस अध्यक्ष)
नई दिल्ली: राज्यसभा में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु के अभिभाषण पर संसद के दोनों सदनों राज्यसभा और लोकसभा में सोमवार को चर्चा हुई। इस चर्चा में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी भाग लिया। संसद के उच्च सदन यानी की राज्यसभा में बोलते हुए मल्लिकार्जुन खड़गे ने उस दौरान अपना संतुलन खो बैठा जब भारतीय जनता पार्टी और पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के बेटे नीरज शेखर ने उन्हें बीच में टोक दिया। बीजेपी सांसद के इस टोका-टोकी से भड़के खरगे ने उनको लेकर जो टिप्पणी की अब वह चर्चाओं में है।
दरअसल, कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने धन्यवाद प्रस्ताव पर बहस के दौरान उच्च सदन को संबोधित किया। वे अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये में लगातार हो रही गिरावट पर बोल रहे थे, तभी अचानक शेखर ने उन्हें बीच में टोक दिया। इस पर नाराजगी जाहिर करते हुए कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि ‘तेरा बाप का भी मैं साथी था। तू क्या बात करता है? तुझको लेकर घूमा। चुप, चुप, चुप बैठा रह।’
हालांकि, मल्लिकार्जुन खड़गे के इस बात पर संसद में काफी देर हंगामा मचता रहा। राज्यसभा के अध्यक्ष जगदीप धनखड़ ने दोनों पक्षों को शांत रहने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि चंद्रशेखर इस देश के सबसे बड़े नेताओं में से एक हैं। देश में चंद्रशेखर के लिए सम्मान अतुलनीय है। इसके बाद जगदीप धनखड़ ने कहा कि आप कह रहे हैं ‘आपके बाप’, आप एक अन्य माननीय सदस्य को कह रहे हैं। हमें चंद्रशेखर जी के प्रति सम्मान रखना चाहिए। कृपया वापस लें।
इसके बाद मल्लिकार्जुन ने कहा कि किसी का अपमान करने की उनकी आदत नहीं है। इसके अलावा खड़गे ने यह आरोप लगाकर हंगामा खड़ा कर दिया कि भगदड़ के दौरान हजारों लोगों की जान चली गई और सरकार को मृतकों की सही संख्या बतानी चाहिए। मल्लिकार्जुन खड़गे ने राज्यसभा में कहा कि मनुस्मृति ने नहीं, बल्कि संविधान के कारण फाइनेंस मिनिस्टर निर्मला सीतारमण को बजट पेश करने का मौका मिला और संसद में सभी तबके को बोलने का अधिकार दिया। हमें संविधान के कारण ही बोलने का अधिकार मिला है। मनुवादियों की बात मत सुनें।
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गौरतलब है कि समाजवादी पार्टी के पूर्व सांसद नीरज शेखर 2019 में भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए। उनके पिता चंद्रशेखर को देश के इतिहास में सबसे बड़े समाजवादी नेताओं में से एक माना जाता है और उन्होंने अक्टूबर 1990 से जून 1991 तक छह महीने तक प्रधानमंत्री के रूप में काम किया।