राहुल गांधी और बी. सुदर्शन रेड्डी, फोटो- सोशल मीडिया
Vice Presidential candidate B. Sudarshan Reddy: कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने हाल ही में संसद के केंद्रीय कक्ष में विपक्षी दलों के नेताओं के बीच बी. सुदर्शन रेड्डी को उपराष्ट्रपति पद का संयुक्त उम्मीदवार घोषित किया। इस मौके पर सोनिया गांधी, राहुल गांधी और विपक्षी दलों के कई शीर्ष नेता मौजूद थे। अब आज वो अपना नामांकन दाखिल करेंगे।
मल्लिकार्जुन खरगे ने उपराष्ट्रपति पद के विपक्षी गठबंधन के उम्मीदवार बी सुदर्शन रेड्डी का बुधवार को घटक दलों के नेताओं से परिचय करवाया। इस बैठक में टीएमसी, सपा, एनसीपी (एसपी), आरजेडी, जेएमएम, शिवसेना यूबीटी, द्रमुक, वाम दलों समेत इंडिया गठबंधन के लगभग सभी सहयोगी दल मौजूद थे।
बी सुदर्शन रेड्डी आज सुबह 11.30 बजे नामांकन करेंगे। इस अवसर पर मल्लिकार्जुन खरगे, सोनिया गांधी, अखिलेश यादव, प्रियंका गांधी समेत कई दिग्गज उपस्थित रहेंगे। सोनिया गांधी समेत 80 नेता प्रस्तावक बन सकते हैं।
Sharing my opening remarks as we felicitate Shri B. Sudershan Reddy as Opposition Party’s Joint Vice-Presidential Candidate —
1. It is with great pride and conviction that the Opposition parties present Shri B. Sudershan Reddy as our joint candidate for the office of… pic.twitter.com/JrnbHsHA02
— Mallikarjun Kharge (@kharge) August 20, 2025
मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि यह चुनाव सिर्फ एक पद के लिए प्रतियोगिता नहीं, बल्कि “राष्ट्र की आत्मा और वैचारिक संघर्ष” की लड़ाई है। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि सत्तारूढ़ दल आरएसएस की विचारधारा को आगे बढ़ा रहा है, जबकि विपक्ष संविधान और उसके मूल्यों को मार्गदर्शक मानता है। उन्होंने कहा कि लोकतांत्रिक संस्थाओं की अखंडता पर गंभीर खतरे मंडरा रहे हैं और संसद विपक्ष की आवाज दबाने का उपकरण बन गई है। कई विधेयक बिना उचित चर्चा के पारित किए जा रहे हैं।
शिवसेना (यूबीटी) सांसद संजय राउत ने कहा कि विपक्ष की एकजुटता पूरी तरह intact है और सुदर्शन रेड्डी की मौजूदगी से “कौरवों (एनडीए) की हार तय है।” वहीं राहुल गांधी ने बिहार यात्रा का जिक्र करते हुए सुदर्शन को विपक्षी एकता का प्रतीक बताया।
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विपक्षी गठबंधन 8 सितंबर को मॉक पोल का आयोजन करेगा ताकि सभी सांसद उपराष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया से परिचित हो सकें। बैठक में संविधान संशोधन विधेयक को लेकर भी कड़ा विरोध दर्ज किया गया। विपक्षी सांसदों ने कहा कि ऐसे विधेयक सत्र के अंत में लाकर संघवाद और संसदीय लोकतंत्र की जड़ों को कमजोर करने का प्रयास हो रहा है।