देश के नए उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन (फोटो- सोशल मीडिया)
Vice President Election 2025: उपराष्ट्रपति चुनाव के नतीजे आ चुके हैं और उम्मीद के मुताबिक NDA उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन ने जीत दर्ज की है। लेकिन इस जीत के आंकड़ों ने राजनीतिक गलियारों में एक नई बहस छेड़ दी है। राधाकृष्णन को NDA के संख्याबल से करीब 14 वोट अधिक मिले हैं, जिससे विपक्षी खेमे में क्रॉस वोटिंग की अटकलें तेज हो गई हैं। भारतीय जनता पार्टी का दावा है कि विपक्ष के कई सांसदों ने अपनी अंतरात्मा की आवाज सुनकर एनडीए उम्मीदवार का समर्थन किया है, हालांकि विपक्ष की ओर से इस पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है।
मंगलवार को आए नतीजों ने सभी को चौंका दिया है। इस चुनाव में कुल 781 सदस्यों में से 767 ने मतदान किया, जिसमें 15 वोटों को अवैध करार दिया गया। राज्यसभा के महासचिव और निर्वाचन अधिकारी पी सी मोदी ने नतीजों की घोषणा करते हुए बताया कि कुल 98.2 प्रतिशत मतदान हुआ। इस चुनाव में बीजू जनता दल (बीजद), भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) और शिरोमणि अकाली दल (शिअद) जैसे दलों ने मतदान से दूर रहने का फैसला किया था, जिसके बाद समीकरण और भी दिलचस्प हो गए थे।
अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि ये अतिरिक्त वोट कहां से आए। एनडीए के पास अपने सहयोगी दलों को मिलाकर 427 सांसदों का समर्थन था। इसके अलावा, जगन मोहन रेड्डी की वाईएसआरसीपी के 11 सांसदों ने भी राधाकृष्णन को समर्थन दिया था, जिससे यह आंकड़ा 438 तक पहुंच जाता है। लेकिन उन्हें कुल 452 वोट मिले। इन अतिरिक्त 14 वोटों ने विपक्षी एकता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। एनडीए के कुछ नेताओं ने संकेत दिया है कि झारखंड और महाराष्ट्र के विपक्षी सांसदों ने क्रॉस वोटिंग की है, क्योंकि राधाकृष्णन दोनों राज्यों के राज्यपाल रह चुके हैं।
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इस मुद्दे पर नेताओं के बयान आने भी शुरू हो गए हैं। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि एनडीए को मिले अतिरिक्त वोट प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीतियों और नेतृत्व में बढ़ते विश्वास का प्रमाण हैं। उन्होंने दावा किया कि एनडीए की ताकत 427 थी और उन्हें 25 वोट ज्यादा मिले, जो दिखाता है कि विपक्षी नेता भी देश की प्रगति के साथ खड़े हैं। वहीं, लोकसभा में भाजपा के मुख्य सचेतक संजय जायसवाल ने तो यहां तक कह दिया कि विपक्षी खेमे के लगभग 40 सांसदों ने अपनी अंतरात्मा की आवाज सुनकर राधाकृष्णन का समर्थन किया है। ये दावे विपक्ष की उस कथित एकता में दरार की ओर इशारा कर रहे हैं, जिसका प्रदर्शन इंडिया ब्लॉक की बैठकों में किया जाता रहा है।